Bihar election 2025: भाजपा मुक्त हुए 6 जिले! EVM में नहीं दिखेगा कमल का फूल चुनाव चिन्ह, क्या है रणनीति?

BJP Bihar Election Strategy
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बिहार के 6 जिलों में भाजपा के एक भी उम्मीदवार नहीं।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में भाजपा ने 6 जिलों — मधेपुरा, खगड़िया, शेखपुरा, शिवहर, जहानाबाद और रोहतास में कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है। जानिए क्यों भाजपा ने सहयोगी दलों को मैदान सौंपकर रणनीतिक कदम उठाया है।

Bihar election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में भाजपा ने ऐसी रणनीति अपनाई है जिसने सियासी हलचल बढ़ा दी है। पार्टी ने राज्य के छह जिलों — मधेपुरा, खगड़िया, शेखपुरा, शिवहर, जहानाबाद और रोहतास में एक भी उम्मीदवार नहीं उतारा है। यानी ये जिले इस बार पूरी तरह ‘भाजपा मुक्त’ हैं।

भाजपा ने छह जिलों में क्यों नहीं उतारे उम्मीदवार?

भाजपा की रणनीति के अनुसार, इन छह जिलों में एनडीए के सहयोगी दलों को चुनाव लड़ने का मौका दिया गया है। जबकि कुछ जिलों में भाजपा ने सिर्फ एक सीट पर उम्मीदवार उतारा है, जैसे सहरसा, लखीसराय, नालंदा, बक्सर और जमुई।

भाजपा के रणनीतिकारों का कहना है कि यह फैसला गठबंधन की मजबूती दिखाने और सहयोगी दलों को पर्याप्त राजनीतिक स्पेस देने के लिए लिया गया है।

पिछली बार भी अपनाई गई थी ऐसी नीति

पिछले विधानसभा चुनाव 2020 में भी भाजपा ने शिवहर, खगड़िया, शेखपुरा, जहानाबाद और मधेपुरा जिलों में कोई प्रत्याशी नहीं उतारा था। इस बार रोहतास को भी इस सूची में जोड़ा गया है।

रोहतास की डिहरी और काराकाट सीट पर 2020 में भाजपा ने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन इस बार पार्टी ने यह सीटें सहयोगी दलों के लिए छोड़ी हैं।

सहयोगियों को सौंपी जिम्मेदारी

भाजपा ने स्पष्ट संदेश दिया है कि बिहार में वह गठबंधन की राजनीति को प्राथमिकता दे रही है। एनडीए के तहत भाजपा और जदयू ने 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ने का समझौता किया है, जबकि लोजपा (रामविलास) को 29 और हम-आरएलएम को 6-6 सीटें दी गई हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, भाजपा जिन जिलों में खुद नहीं लड़ रही है, वहां सहयोगी दलों की पकड़ मजबूत है या स्थानीय समीकरण भाजपा के खिलाफ हैं।

जहां भाजपा का दबदबा बरकरार

दूसरी ओर, भाजपा ने पश्चिम चंपारण में सबसे ज्यादा आठ उम्मीदवार उतारे हैं। इनमें हरसिद्धि, पिपरा, कल्याणपुर, मोतिहारी, रक्सौल, मधुबन, चिरैया और ढाका शामिल हैं।

इसी तरह पूर्वी चंपारण की 9 में से 7 सीटों, पटना की 14 में से 7 सीटों, दरभंगा की 6, मुजफ्फरपुर की 5, भोजपुर की 5 और मधुबनी की 5 सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार मैदान में हैं।

सियासी रणनीति से बदली बिहार की तस्वीर

विशेषज्ञों का मानना है कि भाजपा इस रणनीति के जरिए अपने संसाधनों और चुनाव प्रबंधन को केंद्रित रखना चाहती है। जिन जिलों में उसने सीमित सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, वहां वह अपने लिए अपेक्षाकृत आसान सियासी ज़मीन बना रही है।

स्पष्ट है कि भाजपा-एनडीए ने इस बार सीट तालमेल और सियासी गणित में गहरी रणनीतिक समझ दिखाई है। अब देखना यह होगा कि यह रणनीति बिहार के मतदाताओं को कितना प्रभावित कर पाती है।

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