बिहार चुनाव 2025: तेजस्वी यादव को बड़ा झटका, राजद के स्टार प्रचारक ने पार्टी छोड़ी, बीजेपी का दामन थामा

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राजद के स्टार प्रचारक अनिल साहनी ने पार्टी छोड़ी और बीजेपी जॉइन की

बिहार चुनाव 2025 से पहले राजद को बड़ा झटका। स्टार प्रचारक और पूर्व सांसद डॉ. अनिल कुमार साहनी ने पार्टी से इस्तीफा देकर बीजेपी जॉइन की। अतिपिछड़ा वर्ग की उपेक्षा और परिवारवाद का लगाया आरोप।

Bihar election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच राजद (RJD) की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं। जहां एक ओर मोहनिया सीट से राजद उम्मीदवार श्वेता सुमन का नामांकन रद्द हुआ है, वहीं अब पार्टी के स्टार प्रचारक और पूर्व सांसद डॉ. अनिल कुमार साहनी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। साहनी के इस फैसले से चुनावी माहौल में सियासी तापमान और बढ़ गया है।

अनिल कुमार साहनी बीजेपी में हुए शामिल

पूर्व विधायक और पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल कुमार साहनी ने राजद के प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल को अपना इस्तीफा सौंपा, और इसके तुरंत बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सदस्यता ग्रहण कर ली। इस दौरान भाजपा के कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे।

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, यह कदम अतिपिछड़ा वर्ग के मतदाताओं पर बड़ा असर डाल सकता है, क्योंकि साहनी की इस वर्ग में अच्छी पकड़ मानी जाती है।

सोशल मीडिया पर साझा किया इस्तीफा

अनिल साहनी ने अपने फेसबुक अकाउंट पर ही इस्तीफे की घोषणा की। उन्होंने पोस्ट में लिखा — ''आज मैंने राष्ट्रीय जनता दल के स्टार प्रचारक, सभी पदों एवं दल की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।''


साहनी ने पोस्ट के साथ अपने इस्तीफा पत्र और मंगनी लाल मंडल के साथ तस्वीरें भी साझा कीं। उनकी इस पोस्ट ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।

पार्टी नेतृत्व पर लगाए गंभीर आरोप

इस्तीफे के बाद अनिल साहनी ने राजद नेतृत्व पर तीखे आरोप लगाए। उन्होंने कहा, ''पार्टी में अतिपिछड़ा वर्ग के नेताओं और कार्यकर्ताओं का लगातार अपमान किया जा रहा है। राजद में परिवारवाद और चापलूसी बढ़ गई है। टिकट बंटवारे से लेकर संगठन के फैसलों तक, अतिपिछड़ा वर्ग को नजरअंदाज किया गया।''

साहनी ने यह भी कहा कि भले ही उन्हें स्टार प्रचारक बनाया गया था, लेकिन निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनकी राय को कभी महत्व नहीं दिया गया।

राजद में अब अतिपिछड़ा वर्ग के लिए जगह नहीं बची

पूर्व सांसद ने साफ कहा कि अब राजद में अतिपिछड़ा वर्ग के नेताओं के लिए कोई स्थान नहीं बचा।

उन्होंने बताया कि वे कई महीनों से पार्टी की कार्यशैली से असंतुष्ट थे।

उन्होंने आगे कहा, ''राजद में अब लोकतांत्रिक मूल्यों की जगह व्यक्तिगत हितों ने ले ली है। ऐसी स्थिति में पार्टी में बने रहना असंभव था।''

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि साहनी का यह कदम तेजस्वी यादव के लिए एक बड़ा झटका है, खासकर तब जब चुनावी माहौल पहले से तनावपूर्ण है।

बीजेपी को मिल सकता है फायदा

अनिल कुमार साहनी के बीजेपी में शामिल होने से पार्टी को अतिपिछड़ा वर्ग (EBC) के वोट बैंक में लाभ मिलने की उम्मीद है।

भाजपा नेताओं ने उनके पार्टी में स्वागत करते हुए कहा कि साहनी जैसे अनुभवी नेता का साथ मिलना बिहार में बीजेपी की ताकत को और मजबूत करेगा।

उनकी छवि एक जमीनी नेता की रही है, और वे कई बार अपने क्षेत्र में सामाजिक मुद्दों पर सक्रिय रहे हैं।

राजद को लगातार झटके

राजद के लिए यह इस्तीफा ऐसे समय आया है जब पार्टी पहले से ही आंतरिक विवादों और उम्मीदवारों के नामांकन संबंधी समस्याओं से जूझ रही है।

एक ओर श्वेता सुमन का नामांकन रद्द हुआ, दूसरी ओर अनिल साहनी जैसे प्रभावशाली नेता का पार्टी छोड़ना, महागठबंधन की रणनीति पर सीधा असर डाल सकता है।

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