भाजपा प्रत्याशी संजय पांडेय की बायोग्राफी: एक क्लिक में जानिए उम्र शिक्षा परिवार संपत्ति और राजनीतिक सफर

एक क्लिक में जानिए उम्र शिक्षा परिवार संपत्ति और राजनीतिक सफर
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इस क्षेत्र में गन्ना किसानों के मुद्दे, बाढ़ नियंत्रण और रोजगार सबसे बड़े चुनावी मुद्दे रहते हैं।

नरकटियागंज विधानसभा सीट से बीजेपी कैंडिडेट संजय पांडेय की उम्र, शिक्षा, परिवार, जाति, संपत्ति और राजनीतिक करियर की पूरी जानकारी। बिहार चुनाव 2025 के उम्मीदवार की जीवनी पढ़ें।

जीवन परिचय ( संजय पांडेय) नरकटियागंज सीट बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह क्षेत्र गन्ना उत्पादन और कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था के लिए जाना जाता है। पारंपरिक रूप से, इस सीट पर ब्राह्मण और अन्य अगड़ी जातियों का प्रभाव रहा है, जो अक्सर बीजेपी के पक्ष में जाता है। हालांकि, अति पिछड़ा वर्ग (EBC) और अल्पसंख्यक मतदाताओं की भी यहां अच्छी संख्या है, जो मुकाबला कांटेदार बनाते हैं।

2025 के चुनाव में, बीजेपी ने निवर्तमान विधायक रश्मि वर्मा का टिकट काटकर अनुभवी नेता संजय कुमार पाण्डेय को मैदान में उतारा है। उनका मुकाबला महागठबंधन के मजबूत उम्मीदवार से होगा। इस क्षेत्र में गन्ना किसानों के मुद्दे, बाढ़ नियंत्रण और रोजगार सबसे बड़े चुनावी मुद्दे रहते हैं।

पारिवारिक पृष्ठभूमि और प्रारंभिक जीवन

संजय कुमार पाण्डेय की आयु 2025 के चुनाव के अनुसार लगभग 60 वर्ष है। उनके पिता का नाम स्वर्गीय घनश्याम पाण्डेय है। उनका निवास स्थान पश्चिम चंपारण जिले के गांव -फतेहपुर, पोस्ट-योगापट्टी में स्थित है, उनका बचपन और प्रारंभिक जीवन ग्रामीण पृष्ठभूमि में बीता। यह पारिवारिक पृष्ठभूमि उन्हें क्षेत्र के लोगों से भावनात्मक रूप से जुड़ने में मदद करती है। उनकी ब्राह्मण पृष्ठभूमि और चंपारण जैसे कृषि-प्रधान क्षेत्र में निवास ने उनके राजनीतिक करियर के आधार को मजबूत किया, क्योंकि इन अनुभवों ने उन्हें स्थानीय समस्याओं की गहरी समझ दी।

राजनीतिक कैरियर और संगठनात्मक अनुभव

संजय कुमार पाण्डेय भारतीय जनता पार्टी के एक सक्रिय और पुराने सदस्य हैं। उनकी राजनीतिक यात्रा वर्षों के संगठनात्मक कार्य और जमीनी स्तर पर जुड़ाव का है। नरकटियागंज विधानसभा सीट पर बीजेपी ने उन पर भरोसा जताकर निवर्तमान विधायक का टिकट काटा है। अपने राजनीतिक करियर के दौरान, उन्होंने स्थानीय स्तर पर पार्टी के विभिन्न पदों पर कार्य किया होगा और क्षेत्र के बुनियादी ढांचे और कृषि से जुड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया होगा।

संजय पांडेय कहते हैं विपक्ष केवल हवा-हवाई वादे करता है, जबकि हमारी प्रतिबद्धता नरकटियागंज के विकास के लिए है। महागठबंधन ने विधानसभा में भी ऐसे वादे किए थे, लेकिन जनता ने उनके 5 साल के कार्यकाल को देखकर जिस प्रकार से उन्हें पटका है, वे उससे उबर नहीं पा रहे हैं। संजय कहते है विपक्ष ने दलगत और गंदी राजनीति के कारण हमारे शहर की धरोहरों को बर्बाद करने का प्रयास किया है। हम इन सारे मुद्दों को जनता के बीच में लेकर जाएंगे।

संजय पांडेय की संपत्ति का स्पष्ट ब्यौरा

​ईसीआई को दिए गए हलफनामे के अनुसार, बीजेपी प्रत्याशी संजय कुमार पाण्डेय और उनकी पत्नी की कुल घोषित संपत्ति का मूल्य लगभग 2 करोड़ 60 लाख 70 हजार है। इसमें संजय पाण्डेय की स्वयं की संपत्ति लगभग 2 करोड़ 4 लाख है, जबकि उनकी पत्नी की संपत्ति लगभग 56 लाख 70 हजार है।

चल संपत्ति (नकद, बैंक जमा, आभूषण, आदि) का कुल मूल्य लगभग 10 लाख 70 हजार है। अचल संपत्ति (कृषि और गैर-कृषि भूमि, भवन) का कुल मूल्य लगभग 2 करोड़ 50 लाख है।

उन्होंने यह भी घोषित किया है कि उन पर लगभग 5 लाख की देनदारी (कर्ज/लोन) है, जबकि उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। उनका पेशा मुख्यतः कृषि और राजनीतिक/सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में है।

नरकटियागंज में त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति

​नरकटियागंज विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला बीजेपी के संजय कुमार पाण्डेय और महागठबंधन के दो प्रमुख दावेदारों के बीच है, जिससे संघर्ष त्रिकोणीय हो गया है।

भारतीय जनता पार्टी से संजय कुमार पाण्डेय है, वहीं विपक्षी महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर गंभीर गतिरोध दिखा है। इसके परिणामस्वरूप, कांग्रेस पार्टी ने शाश्वत केदार पाण्डेय को मैदान में उतारा है, जबकि राष्ट्रीय जनता दल ने भी दीपक यादव को अपना उम्मीदवार बनाकर अपनी दावेदारी पेश कर दी है। इस खींचतान के कारण महागठबंधन का पारंपरिक मुस्लिम-यादव वोट बट सकता है।

नरकटियागंज का राजनीतिक समीकरण

​यह सीट पश्चिमी चंपारण क्षेत्र की उन सीटों में से है जहां ब्राह्मण और मुस्लिम-यादव मतदाताओं का गहरा प्रभाव है, जिसके कारण मुकाबला हमेशा करीबी रहता है। संजय कुमार पाण्डेय को बीजेपी के पारंपरिक और मजबूत ब्राह्मण वोट बैंक का समर्थन मिलने की उम्मीद है। वहीं, आरजेडी उम्मीदवार दीपक यादव का आधार यादव और मुस्लिम मतदाताओं पर टिका है, जो इस क्षेत्र में एक बड़ा समीकरण बनाता है।

हालांकि, कांग्रेस के प्रत्याशी शाश्वत केदार पाण्डेय के मैदान में होने से उच्च-जाति और कुछ गैर-यादव ओबीसी वोटों के विभाजन की आशंका है, जिससे किसी भी प्रत्याशी के लिए स्पष्ट बहुमत हासिल करना कठिन हो जाएगा। दलित और अति-पिछड़ा वर्ग (EBC) के मतदाता निर्णायक भूमिका में रहेंगे, और उनका रुझान ही चुनाव का अंतिम परिणाम निर्धारित करेगा। 2025 का यह चुनाव जातीय गोलबंदी, विकास के मुद्दों और पार्टी के भीतर की बगावत के बीच एक करीबी और कांटेदार मुकाबले का गवाह बनने जा रहा है।

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