Survey Report: बिहार में दलित वोटर्स का मूड क्या है? किस पार्टी को बढ़त, किसे नुकसान? जानें पसंदीदा चेहरा

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले दलित वोटर्स पर बड़ा सर्वे।
Highlights
महागठबंधन को 46.13% दलित वोट, NDA को सिर्फ 31.93%
तेजस्वी यादव सबसे लोकप्रिय दलित नेता (28.83%)
नीतीश सरकार से 48.43% दलित नाराज़
बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा, जातिगत जनगणना का असर साफ
71.56% दलितों को वोटर लिस्ट से नाम हटने का डर
Bihar Dalit Voters Survey 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से 19.65 फीसदी दलित आबादी निर्णायक साबित हो सकती है। प्रत्येक रानीतिक दल इन्हें लुभाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हाल ही में आए NACDOAR और The Convergent Media (TCM) के साझा सर्वे ने सियासी हलचल मचा दी है। सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, दलितों में महागठबंधन को बढ़त और NDA को नुकसान होता दिख रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री मोदी और राज्य में तेजस्वी यादव सबसे पॉपुलर नेता हैं।
दलितों का मूड: NDA नहीं, महागठबंधन की ओर
सर्वे के अनुसार 46.13% दलित मतदाता महागठबंधन के पक्ष में हैं। वहीं NDA को सिर्फ 31.93% समर्थन मिल रहा है। दोनों में करीब 14.2 फीसदी का अंतर है।
बिहार के कोसी (72.33%) और भोजपुर क्षेत्र (53.75%) में महागठबंधन बेहद मजबूत स्थिति में है। जबकि, सीमांचल क्षेत्र में NDA को थोड़ी बढ़त (42.57%) है। 2020 के मुकाबले NDA का वोट शेयर 4.6% घटा है।
तेजस्वी-चिराग की लोकप्रियता, नीतीश पिछड़े
सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, दलित समुदाय में तेजस्वी यादव (28.83%) अंकों के साथ सबसे पसंदीदा नेता हैं। जबकि, चिराग पासवान (25.88%) दूसरे और सीएम नीतीश कुमार तीसरे स्थान पर हैं। उन्हें 22.80% दलितों का समर्थन प्राप्त है।
राष्ट्रीय स्तर पर PM मोदी पहली पसंद
राष्ट्रीय स्तर पर PM मोदी (47.51%) और राहुल गांधी (40.30%) की लोकप्रियता में काफी अंतर है, लेकिन कांग्रेस की कमजोर स्थिति के बावजूद राहुल की पॉपुलरटी पिछले सालों की अपेक्षा बढ़ी है।
नीतीश सरकार से ‘महादलित’ भी नाखुश
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सबसे बड़ी मजबूत राजनीतिक कड़ी माने जाने वाले ‘महादलित’ वर्ग में भी उनका असर कम हुआ है। दुसाध (18.79%) में सबसे कम समर्थन, जबकि अन्य दलित जातियों में भी समर्थन अब 20% से 33% के बीच है। 48.43% दलितों ने नीतीश सरकार के कामकाज को "खराब" बताया है।
बिहार चुनाव मुख्य मुद्दा क्या है?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले दलित समुदाय बेरोजगारी और जातिगत जनगणना को सबसे बड़ा मुद्दा मानते हैं। 58.85% फीसदी लोगों ने बेरोजगारी को सबसे बड़ी समस्या बताया। लेकिन 80 फीसदी से अधिक लोग जातिगत जनगणना और आरक्षण बढ़ाए जाने का समर्थन किया। शिक्षा-स्वास्थ्य (14.67%) और भ्रष्टाचार को 11.21% लोगों ने चिंताजनक बताया।
जातिगत जनगणना का श्रेय करीब 33 फीसदी ने प्रधानमंत्री मोदी को दिया। तो वहीं राहुल गांधी (30.81%) और तेजस्वी यादव (27.57%) इस मामले में दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
आरक्षण की सीमा बढ़ाने की मांग तेज
बिहार में हुए जातिगत सर्वेक्षण के बाद आरक्षण का दायरा बढ़ाए जाने की मांग तेज हो गई है। सर्वे में 82.89% लोग इसके पक्ष में मजबूती से खड़े नअर आए। यह आँकड़ा जातिगत आरक्षण पर चल रही बहस को नई दिशा देता है।
मतदाता सूची पर संशय, चुनाव आयोग पर अविश्वास
बिहार में कराए जा रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान से दलित समुदाय काफी चिंतित है। सर्वे में 71.56% लोगों ने माना कि नई वोटर लिस्ट से उनका नाम हट सकता है। 27.40% लोग चुनाव आयोग को निष्पक्ष नहीं मानते। सर्वाधिक डर सीमांचल और कोसी क्षेत्र में नजर आया।
बिहार में सच्चा दलित नेता कौन?
बिहार में सबसे बड़े दलित नेता के रूप में राम विलास पासवान नाम उभरकर आया है। 52.35% लोगों ने उन्हें सबसे बड़ा दलित नेता बताया। चिराग पासवान को मिल रही लोकप्रियता भी रामविलास की विरासत को मजबूत करती है। वहीं रविदास समुदाय में 47.87% लोगों ने बाबू जगजीवन राम को सबसे बड़ा नेता माना।
सर्वे का आधार और प्रमाणिकता क्या है?
- NACDOAR और TCM ने यह सर्वे बिहार की दलित बहुल्य 49 विधानसभा सीटों में कराया है। इसमें 18,581 लोगों से सर्वे प्रपत्र भरवाया गया। खास बात ये है सर्वे का जिम्मेदारी दलित समुदाय से आने वाले युवाओं की ही सौंपी गई थी। कोसी, मिथिलांचल, सीमांचल, भोजपुर, चंपारण, और मगध-पाटलिपुत्र के लिए अलग अलग टीमें बनाई गईं थीं। सर्वे से पहले उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया गया।
- दलित सर्वेयर द्वारा किए गए इस सर्वेक्षण में बिहार की सभी 23 दलित जातियों को शामिल किया गया। 44.66% लोगों ने उम्मीदवार और 32.51% ने पार्टी के आधार पर मतदान का आधार बताया। जबकि, जाति आधारित मतदान सिर्फ 10.09% तक सीमित दिखा।
बिहार में दलित स्थिति और राजनीतिक भागीदारी?
बिहार में 19.65 फीसदी दलित (अनुसूचित जाति ) और 1 प्रतिशत के अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) आबादी है। दलितों में 5.31% पासवान, 5.26% रविदास और 3% मुसहर आबादी वाली तीन बड़ी जातियां हैं। 2020 विधानसभा चुनाव में एससी (दलित) के लिए आरक्षित 21 सीटों पर एनडीए और 17 सीटों पर महागठबंधन का जीत मिली।
बिहार में किस पार्टी से कितने दलित विधायक
243 सदस्यों वाली बिहार विधानसभा में 38 दलित विधायक हैं। इनमें से 13-13 पासवान और रविदास समाज से। जबकि, 7 मुसहर, 3 पासी और 1 विधायक मुसहर समाज से हैं। पार्टीवाइज बात करें तो भाजपा-RJD के पास 9-9, जेडीयू में 8, कांग्रेस में 4, हम और सीपीआई माले में 3-3 और सीपीआई-वीआईपी के पास एक-एक दलित विधायक हैं।
FAQ
Q-बिहार में दलित वोटर्स किसे समर्थन दे रहे हैं?
A-सर्वे के अनुसार, 46.13% दलित वोटर महागठबंधन का समर्थन कर रहे हैं जबकि NDA को 31.93%।
Q-सबसे लोकप्रिय दलित नेता कौन हैं?
A-राम विलास पासवान (52.35%) को सबसे बड़ा दलित नेता माना गया, खासकर दुसाध और छोटी जातियों में।
Q-बिहार में सबसे बड़ा मुद्दा क्या है?
A-बेरोजगारी (58.85%) को दलित समुदाय ने सबसे बड़ा मुद्दा बताया, इसके बाद शिक्षा-स्वास्थ्य और भ्रष्टाचार हैं।
Q-नीतीश कुमार की लोकप्रियता कैसी है?
A-दलित समुदाय में नीतीश कुमार की लोकप्रियता घटी है, खासकर महादलितों में पकड़ कमजोर हुई है।
Q-क्या जातिगत जनगणना का असर दिख रहा है?
A-हां, 58.38% दलित मतदाताओं ने जातिगत जनगणना का श्रेय राहुल गांधी और तेजस्वी यादव को दिया है।
Q-दलितों को वोटर लिस्ट से नाम हटने का डर क्यों?
A-71.56% दलितों ने मतदाता सूची से नाम हटने की आशंका जताई है, खासकर रविदास/चमार और पासी समुदाय में।
