India Test Record: भारत में घर में कितना बड़ा टेस्ट टारगेट हुआ है चेज? गुवाहाटी में क्या बदलेगा इतिहास?

भारत ने घर में कितना बड़ा स्कोर चेज किया है।
India's Test Record: साउथ अफ्रीका ने भारत को गुवाहाटी टेस्ट में 549 रन का लक्ष्य दिया है। इसका पीछा करते हुए भारत के दोनों ओपनर जल्दी पवेलियन लौट चुके। पहला टेस्ट कोलकाता में 30 रन से गंवाने के बाद भारत के सामने अब सीरीज बचाने की चुनौती है। 549 रन का टारगेट भारत में कभी चेज नहीं हुआ है।
इतना बड़ा टारगेट भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे कठिन चेज़ में से एक माना जा रहा है, और वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए यह लगभग असंभव दिख रहा। टीम के पास सिर्फ साढ़े तीन सेशन बचे हैं,जिनमें उसे विकेट बचाते हुए मैच को कम से कम ड्रॉ की दिशा में ले जाने के लिए संघर्ष करना होगा।
भारत में टेस्ट में सबसे सफल रनचेज
387/4 - भारत बनाम इंग्लैंड, चेन्नई, 2008
276/5 - भारत बनाम वेस्टइंडीज, दिल्ली, 2011
262/5 -भारत बनाम न्यूजीलैंड, बेंगलुरु, 2012
256/8 - भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया, ब्रेबोर्न, 2010
भारत ने टेस्ट इतिहास में अब तक 400 से ज्यादा रन का लक्ष्य कभी नहीं चेज़ किया है। अब तक का सबसे बड़ा सफल चेज़ 1976 में वेस्टइंडीज के खिलाफ 406/4 रहा है जबकि घरेलू जमीन पर भारत का सबसे बड़ा सफल लक्ष्य 387/4 है, जो इंग्लैंड के खिलाफ 2008 में चेन्नई में हासिल किया गया था। इस रिकॉर्ड से साफ हो जाता है कि गुवाहाटी में 549 रन के विशाल लक्ष्य का पीछा करना वास्तविकता से बहुत दूर है।
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ चौथी पारी में भी भारत का रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है। प्रोटियाज के खिलाफ भारत का सबसे बड़ा सफल चेज़ सिर्फ 117 रन है, जो 2004 में कोलकाता में हासिल किया गया था। यह वही मैच था जिसमें राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर की साझेदारी ने टीम को जीत दिलाई थी। अब गुवाहाटी में टीम को उस रिकॉर्ड से कई गुना बड़ा लक्ष्य मिला है, और पिच की हालत इसे और कठिन बना रही है।
पिच अब टूट चुकी है, गेंद तेज़ी से टर्न ले रही है और उछाल भी अनियमित है। इन हालात में भारतीय बल्लेबाज़ों को अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की जरूरत है। भारत के पास स्पिन खेलने वाले बल्लेबाज नहीं है। रोहित, विराट टेस्ट से संन्यास ले चुके हैं। कप्तान शुभमन गिल चोट के कारण नहीं खेल रहे। ऐसे में नए नवेले बल्लेबाजों के लिए मैच बचा लेना भी एवरेस्ट चढ़ने जैसा होगा। ऋषभ पंत,और रवींद्र जडेजा से उम्मीदें हैं, लेकिन पहली पारी में टीम के सिर्फ 201 रन पर ढेर होने के बाद यह साफ है कि जीत से ज्यादा वास्तविक उम्मीद अब सिर्फ मैच बचाने की ही है।
भारत ड्रॉ निकाल सकता है या नहीं, यह काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगा कि टॉप ऑर्डर कितनी देर टिकता है और मिडिल ऑर्डर कितने सेशन निकाल पाता है। पंत को संयम के साथ खेलना होगा और बाकी बल्लेबाज़ों को विकेट बचाने को प्राथमिकता देनी होगी। मैच अब एक तरह से मानसिक साहस और धैर्य की परीक्षा बन गया है। जीत की उम्मीद किसी चमत्कार से कम नहीं लेकिन क्रिकेट में कुछ भी संभव है-यही बात भारत के लिए थोड़ी उम्मीद छोड़ती है।
