Sachin tendulkar: सचिन तेंदुलकर ने निभाया था 15 साल पुराना वादा, साथी के कारण मिला थी टीम इंडिया में गोल्डन एंट्री

सचिन तेंदुलकर ने निभाया था 15 साल पुराना वादा, साथी के कारण मिला थी टीम इंडिया में गोल्डन एंट्री
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सचिन तेंदुलकर ने बताया कि कैसे गुरशरण सिंह ने उनके करियर की शुरुआत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टूटी कलाई के बावजूद गुरशरण की बैटिंग ने सचिन को शतक पूरा करने में मदद की, जिससे उन्हें टीम इंडिया में जगह मिली।

Sachin Tendulkar Gursharan relation: सचिन तेंदुलकर सिर्फ रन मशीन नहीं, बल्कि मैदान के अंदर और बाहर अपनी सादगी और इंसानियत के लिए भी जाने जाते हैं। उनके करियर में ऐसे कई मौके आए जब उन्होंने अपने बर्ताव से लोगों का दिल जीता। अब एक नई बातचीत में मास्टर ब्लास्टर ने खुद बताया कि कैसे उन्होंने अपने पुराने साथी खिलाड़ी गुरशरण सिंह से किया वादा 15 साल बाद पूरा किया।

मौका था एक कार्यक्रम का, जहां सचिन यादों में खोते हुए उस दौर की कहानी सुनाने लगे,जब उनका करियर बस शुरू ही हुआ था। यह घटना ईरानी कप की है,जहां सचिन रेस्ट ऑफ इंडिया टीम से खेल रहे थे। सचिन 85 रन बनाकर खेल रहे थे लेकिन टीम 9 विकेट खो चुकी थी। तभी उप-कप्तान गुरशरण सिंह बैटिंग करने आए जबकि उनका हाथ टूटा हुआ था।

सचिन ने बताया कि गुरशरण को बैटिंग करने के लिए राज सिंह डूंगरपुर ने मनाया था। सचिन ने कहा, "वो बैटिंग करने के लिए तैयार नहीं थे लेकिन राज सिंह की बात मानकर वह उतरे। उनकी वजह से मुझे अपना शतक पूरा करने का मौका मिला। वह मेरा इंडिया टीम के लिए ट्रायल मैच था। सौ बनाकर ही मेरी टीम इंडिया में एंट्री हुई।"

सचिन बोले कि उस दिन गुरशरण का जज्बा और टीम के लिए उनका रवैया उन्हें बहुत छू गया। सचिन ने कहा, "टूटी हुई कलाई के साथ बैटिंग करना छोटी बात नहीं थी। उनकी उस भावना ने मेरा दिल जीत लिया।"

इसके बाद सचिन ने न्यूज़ीलैंड दौरे का जिक्र किया, जहां उन्होंने गुरशरण से एक वादा किया था। उस समय कई रिटायर्ड खिलाड़ियों के लिए बेनिफिट मैच होते थे। सचिन ने कहा किमैंने उनसे कहा था कि गुशी जिस दिन तुम्हारा बेनिफिट मैच होगा मैं जरूर आकर खेलूंगा।

साल बीत गए। करीब 15 साल बाद गुरशरण ने सचिन को फोन किया और बताया कि उनका बेनिफिट मैच तय हो गया है। सचिन ने भी बिना देर किए अपना वादा निभाया। सचिन ने बताया, मैंने उन्हें कहा गुशी 1990 में जो वादा किया था,उसे मैं जरूर पूरा करूंगा। और मैं गया और उनके मैच में खेला। मुझे खुशी है कि मैंने अपना वादा निभाया।

सचिन ने कहा कि यह यादें उनके दिल में आज भी जिंदा हैं, और वे गर्व से कह सकते हैं कि उन्होंने अपने शब्द को हमेशा निभाया।

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