gt vs srh: रन आउट या नॉट आउट? शुभमन गिल का गुस्सा जायज था, क्या अंपायर ने फैसले में की चूक?

shubman gill run out controversy
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shubman gill run out controversy
shubman gill run out controversy: गुजरात टाइटंस की सनराइजर्स हैदराबाद पर जीत से ज्यादा चर्चा शुभमन गिल के आउट होने को लेकर हो रही। क्या गिल वाकई रन आउट थे? क्या शंका का फायदा उन्हें मिलना चाहिए था।

shubman gill run out controversy: गुजरात टाइटंस (GT) बनाम सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) मैच में शुभमन गिल का रन आउट एक बड़ा विवाद बना। गिल और जोस बटलर ने शानदार साझेदारी करते हुए टीम को मजबूत स्थिति में पहुंचाया था, लेकिन 13वें ओवर में रन आउट ने सबका ध्यान खींच लिया। सवाल ये उठा कि क्या गिल को आउट करने में गेंद का हाथ था या विकेटकीपर हेनरिक क्लासेन के दस्तानों का?

वाकया कुछ यूं हुआ कि ज़ीशान अंसारी की गुगली को बटलर ने लेग साइड में खेला और दोनों बल्लेबाज़ एक रन के लिए दौड़े। हर्षल पटेल ने शॉर्ट फाइन लेग से गेंद फेंकी, गिल को क्रीज में पहुंचने के लिए डाइव लगानी पड़ी। जैसे ही गेंद स्टंप्स पर लगी, क्लासेन का दायां हाथ भी स्टंप्स के काफी करीब दिखा।

टीवी अंपायर माइकल गफ ने कई एंगल से रीप्ले देखे और यह तय करने की कोशिश की कि गेंद ने पहले स्टंप्स को छुआ या दस्तानों ने। रीप्ले में गेंद की दिशा बदलती दिखी, जिससे यह साबित होता है कि गेंद ने शायद दस्तानों को छुआ हो सकता है।

आकाश चोपड़ा भी फैसले से खुश नहीं
क्रिकेट एक्सपर्ट और कमेंटेटर आकाश चोपड़ा ने कहा कि इस फैसले में पर्याप्त शक था और गिल को आउट नहीं देना चाहिए था। उन्होंने ESPNcricinfo के शो में कहा, 'मेरा मानना है कि स्टंप्स पर गेंद लगना ही काफी नहीं है, जब तक यह साफ न हो कि बेल्स गेंद की वजह से गिरी हैं। यहां तो क्लासेन का हाथ भी बहुत करीब था और बेल्स गिरने पर ज़िंग लाइट्स भी तुरंत नहीं जलीं थीं।'

गिल का गुस्सा और GT की जीत
गिल इस फैसले से नाखुश दिखे। आउट होकर वापस जाते वक्त उन्होंने नाराज़गी जताई और मैच के बाद भी अंपायर से बात की थी। हो सकता है, इस रवैये को लेकर गिल के खिलाफ कार्रवाई भी हो जाए। हालांकि गिल के आउट होने का असर गुजरात की पारी पर नहीं पड़ा। टीम ने 20 ओवर में 224/6 का स्कोर बनाया और SRH को 186/6 पर रोककर पॉइंट्स टेबल में दूसरे स्थान पर पहुंच गई।

गिल का रन आउट एक बार फिर दिखाता है कि टेक्नोलॉजी के इस दौर में भी शक का फायदा बल्लेबाज़ को मिलना चाहिए। फैंस और एक्सपर्ट दोनों इस फैसले से नाखुश हैं और उम्मीद है कि आने वाले मैचों में ऐसे मामलों में अंपायर निर्णय देते वक्त और ज्यादा सर्तकता बरतेंगे।

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