ind vs eng lords test: लॉर्ड्स की 'स्लोप' बल्लेबाजों की नहीं बनेगी होप, 400 ओवर तक होगी अग्निपरीक्षा

what is lords cricket ground slope: लॉर्ड्स क्रिकेट मैदान के स्लोप का क्या असर होगा।
india vs England lords test: भारत और इंग्लैंड के बीच लॉर्ड्स में पांच टेस्ट की एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी का तीसरा मुकाबला गुरुवार से खेला जाएगा। फिलहाल, सीरीज 1-1 से बराबर है। यानी लॉर्ड्स से ही सीरीज की दिशा तय होगी, जो टीम जीतेगी, वो बढ़त हासिल कर लेगी और इसके बाद वापसी किसी भी टीम के लिए आसान नहीं होगी।
लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड को क्रिकेट का मक्का कहा जाता है। यहां खेलना जितना सम्मान की बात है, उतना ही मुश्किल भी। वजह है लॉर्ड्स मैदान का स्लोप यानी मैदान की ढलान। बल्लेबाजों की इस मैदान पर असली अग्निपरीक्षा होती है। क्योंकि विकेट के दोनों छोर से गेंदबाजी पूरी तरह बदल जाती है। ऐसे में अगर कोई बल्लेबाज 100 रन बनाकर भी खेल रहा होता है तो भी पक्के तौर पर ये नहीं कहा जा सकता कि उसकी आंखें जम गईं हैं।
The fun fact about the lord's cricket ground is that it is 2.5 m (8 feet) slant from off side to leg side from Pavilion End.
— Faheem Haider 🇵🇰 (@faheemhaider56) July 9, 2025
In 1814, there was no technology to make a balanced ground and later it decided to preserve this slope. @HomeOfCricket #ENGvIND pic.twitter.com/yoM3ENFCsk
क्या है लॉर्ड्स स्लोप?
लॉर्ड्स का स्लोप या ढलान पवेलियन से नर्सरी एंड तक करीब 8 फीट ऊंचाई का अंतर है। यह मैदान के बीच में तिरछा है, जो सीधे साफ नजर आता है।
गेंदबाजों को क्या फर्क पड़ता है?
अगर गेंदबाज नर्सरी एंड से गेंदबाजी करते हैं तो गेंद दाएं हाथ के बल्लेबाज से बाहर जाएगी, और बाएं हाथ के बल्लेबाज के अंदर की तरफ आएगी। पवेलियन एंड से गेंदबाजी करने पर इसका उल्टा होता है। यानी बल्लेबाज को हर वक्त...हर गेंद पर चौकन्ना रहना पड़ता है। इसी वजह से यहां एक सेशन में ही पूरा खेल बदल जाता है। वैसे भी पिछले कुछ सालों का रिकॉर्ड देखें तो ये बहुत हाई स्कोरिंग मैदान नहीं रहा है।
बल्लेबाजों के लिए चुनौती क्या है?
ढलान की वजह से गेंद की दिशा बदलती रहती है। बल्लेबाज को समझ नहीं आता गेंद अंदर आएगी या बाहर जाएगी। अगर सिर का संतुलन बिगड़ा, तो चूक तय है और एक गेंद में ही पारी खत्म हो सकती है।
आकाश चोपड़ा बताते हैं,'जो गेंद सीधी जाती हुई दिखाई देती है। वो टप्पा खाने के बाद दिशा बदल लेती है और दूसरे छोर से ठीक इसका उल्टा होता है। इसलिए, आप ढलान के कारण पिच से होने वाली हलचल की भरपाई के लिए या तो गेंद की लाइन के बाहर खेल रहे होते हैं या अंदर। यही कारण है कि अगर गेंद टप्पा खाने के बाद अपनी लाइन में रहती है, तो ऐसा लगता है कि उसने बहुत कुछ किया है। लेकिन रीप्ले अक्सर दिखाते हैं कि उसने वास्तव में ज़्यादा कुछ नहीं किया।'
क्या ढलान गेंदबाजों के लिए फायदेमंद है?
हां, लेकिन उन्हें भी सावधानी रखनी होती है। अगर गेंदबाज खुद ढलान के बहाव में बह गया, तो लाइन-लेंथ बिगड़ सकती है।
ढलान आया कहां से?
1814 में जब लॉर्ड्स मैदान बना था, तब यह जगह बत्तख का तालाब थी। मैदान के मालिक थॉमस लॉर्ड ने जमीन समतल नहीं की और ढलान बना रहा।
आज तक इसे समतल क्यों नहीं किया गया?
इतिहास और परंपरा की वजह से। ढलान अब इस मैदान की पहचान बन चुका है। लॉर्ड्स का यही ढलान इसे बाकी दुनिया से अलग बनाता है। यहां खेलना सिर्फ मैच जीतने की नहीं, संतुलन और समझदारी की भी लड़ाई है।
