WI vs NZ: वेस्टइंडीज से सीखे भारत, गेंदबाज ने दोहरा शतक ठोक टेस्ट मैच ड्रॉ कराया; चौथी पारी में ठोके रिकॉर्ड 457 रन

वेस्टइंडीज ने चौथी पारी में रिकॉर्ड 457 रन ठोक क्राइस्टचर्च टेस्ट ड्रॉ कराया।
WI vs NZ Test: भारत को वेस्टइंडीज से सीखना चाहिए कि टेस्ट मैच को कैसे बचाया जाता है। न्यूजीलैंड के खिलाफ क्राइस्टचर्च टेस्ट में 531 रन का पीछा करने वाली वेस्टइंडीज ने चौथी पारी में 6 विकेट पर 457 रन का स्कोर खड़ा कर मैच ड्ऱॉ कराया।
इस पारी में वेस्टइंडीज ने 163.3 ओवर बल्लेबाजी की और चौथी पारी का दूसरा सबसे बड़ा स्कोर खड़ा कर 95 साल का रिकॉर्ड तोड़ा। और इस नतीजे की नींव रखी जस्टिन ग्रीव्स ने। उन्होंने छठे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए नाबाद 202 रन ठोके।
चौथी पारी में 95 साल बाद सबसे लंबी बल्लेबाज़ी
वेस्टइंडीज ने चौथी पारी में 163.3 ओवर बल्लेबाज़ी की-यह उपलब्धि उन्होंने लगभग 95 साल बाद हासिल की। ग्रीव्स ने अकेले इस टेस्ट में जितनी गेंदें खेलीं (388),वह उनके 12 टेस्ट मैचों के खेली गई कुल गेंदों के आधे से भी ज्यादा थीं।
ग्रीव्स ने अकेले लड़ी जंग
पहले शाई होप (140)के साथ 196 रनों की साझेदारी ने टीम को संभाला लेकिन होप और इमलाक के जल्दी आउट होने के बाद ग्रीव्स ने अपनी पारी को नए रूप में ढाला-कला से संघर्ष तक। आखिरी से पहले ओवर में उन्होंने जैकब डफी की गेंद को थर्ड मैन की ओर कट कर डबल सेंचुरी पूरी की। इस सत्र में उन्होंने सिर्फ दो चौके लगाए, जो उनके धैर्य और ज़िद का प्रमाण थे।
केमार रोच ने ग्रीव्स का साथ निभाया
ग्रीव्स का साथ निभाया 37 के केमार रोच ने,जिन्होंने अपनी जिंदगी की सबसे संघर्षपूर्ण पारी खेली। रोच ने 58 रन नाबाद बनाए और 233 गेंदें खेले। उन्होंने आखिरी 104 गेंदों पर सिर्फ 5 रन बनाए लेकिन विकेट नहीं दिया। इस दौरान उन्हें तीन बार जीवनदान मिला-एक कैच छूटा,एक रन-आउट मिस हुआ और एक गलतफहमी में कैच टल गया। इसके बाद रोच पूरी तरह दीवार बन गए और सिर्फ डिफेंस करते रहे।
न्यूज़ीलैंड के गेंदबाज़ पूरे दिन थककर चूर हो गए। उनके पास सिर्फ दो तेज गेंदबाज़ थे-जैकब डफी और ज़ैक फाउल्क्स,जो लगातार गेंदबाज़ी करते रहे। ब्रैसवेल की स्पिन से कुछ मौके बने भी लेकिन ग्रीव्स और रोच ने सब मुश्किलों को संभाल लिया। लाथम ने होप का एक शानदार कैच पकड़ा,जिससे न्यूज़ीलैंड की उम्मीदें बढ़ीं लेकिन वेस्टइंडीज की आखिरी जोड़ी ने कोई गलती नहीं की।
आखिरी सत्र में वेस्टइंडीज के पास जीत के लिए 132 रन चाहिए थे और 31 ओवर बचे थे लेकिन उन्होंने साफ कर दिया कि उनका लक्ष्य सिर्फ मैच बचाना है, जीत नहीं। इस साफ रणनीति की वजह से टीम ने बिना जोखिम लिए डिफेंस पर टिके रहकर मैच ड्रा करा लिया। यह ड्रॉ वेस्टइंडीज के लिए जीत से कम नहीं था। ग्रीव्स, रोच और होप ने दिखा दिया कि टेस्ट क्रिकेट सिर्फ रन बनाने का खेल नहीं, बल्कि हिम्मत, धैर्य और जज्बे का भी इम्तिहान है। उनकी यह पारी आने वाले समय में लंबे वक्त तक याद रखी जाएगी।
