ind vs eng test: 'जब तक भगवान चाहेंगे, तब तक खेलूंगा, लोगों ने तो करियर ही खत्म कर दिया...' बुमराह ने आलोचकों को दिया मुंहतोड़ जवाब

Irfan pathan on Jasprit bumrah
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Irfan pathan on Jasprit bumrah

jasprit bumrah: जसप्रीत बुमराह ने आलोचनाओं और इंजरी के डर को दरकिनार करते हुए टेस्ट क्रिकेट में दमदार वापसी की है। उन्होंने कहा कि वे सिर्फ अपना सर्वश्रेष्ठ देने पर ध्यान देते हैं, बाकी सब भगवान और किस्मत पर छोड़ते हैं

jasprit bumrah: जसप्रीत बुमराह जब टेस्ट क्रिकेट में लौटे तो उन्होंने एक बार फिर साबित किया कि वो सिर्फ गेंदबाज नहीं, एक जज़्बा हैं। ऑस्ट्रेलिया दौरे के बाद चोट से जूझते हुए जब उन्होंने वापसी की, तो सवाल उठे कि क्या यह चोट उनके टेस्ट करियर का अंत होगी? लेकिन बुमराह ने इन सबको सिरे से खारिज किया।

बुमराह ने कहा, 'मैं नहीं चाहता कि लोग मेरे बारे में क्या लिखते हैं, यह मेरे खेल को प्रभावित करे। मैं सिर्फ अपनी मेहनत पर भरोसा करता हूं। मैंने जबसे क्रिकेट शुरू किया है, तभी से लोग कहते रहे हैं कि तू नहीं खेल पाएगा छह महीने चलेगा...सिर्फ आठ महीने टिकेगा। लेकिन अब मुझे इंटरनेशनल क्रिकेट खेलते हुए 10 साल हो गए।'

बुमराह ने साफ कर दिया कि वह हर टेस्ट मैच नहीं खेलेंगे। यही कारण है कि उन्होंने टीम मैनेजमेंट से पहले ही कह दिया कि वो सभी मैचों में नहीं उतर पाएंगे, और इसी वजह से उन्होंने कप्तानी से भी इनकार किया।

लोग क्या बोलते हैं उस पर ध्यान नहीं देता: बुमराह

उन्होंने कहा, 'मैं इस पर नियंत्रण नहीं कर सकता कि लोग क्या लिखते हैं। न ही मैं लोगों को यह सिखाने की कोशिश कर रहा हूं कि वे मेरे बारे में क्या लिखें और क्या न लिखें। हर कोई जो चाहे लिखने के लिए आजाद है। मैं समझता हूं कि हमारे देश में क्रिकेट बहुत लोकप्रिय है, और शीर्षक में मेरे नाम का उपयोग करने से दर्शकों की संख्या बढ़ती है। लेकिन दिन के अंत में, यह मेरे लिए मायने नहीं रखता। क्योंकि अगर मैं इसे अपने दिमाग में आने देता हूं, तो मैं इस पर विश्वास करना शुरू कर दूंगा। मुझे अपने विश्वासों और अपने तरीकों से यह तय करने की जरूरत है कि मैं कैसे खेलूं। न कि जिस तरह से दूसरे चाहते हैं कि मैं खेलूं।'

'भगवान जब तक चाहेंगे खेलूंगा'

बुमराह ने आगे कहा, 'मैं मैदान पर उस पल पर फोकस करता हूं। सोचता हूं कि विकेट कैसा है, बल्लेबाज़ क्या सोच रहा है, मुझे क्या करना चाहिए। मैं ये नहीं सोचता कि कितने टेस्ट खेलूंगा या नहीं खेलूंगा। अभी भी लोग यही कहते रहते हैं कि चोट लग जाएगी। इंतज़ार करते रहो, मैं इस बारे में नहीं सोचूंगा। मैं अपना काम करता रहूंगा। हर तीन-चार महीने में सुर्खियाँ बनेंगी लेकिन देखते हैं, मैं तब तक खेलूंगा जब तक मेरी किस्मत में है। मैं अपनी पूरी तैयारी करता हूं और बाकी सब भगवान पर छोड़ देता हूं। भगवान ने मुझे जो भी बरकत दी है, मैं उसे आगे बढ़ाने की कोशिश करता हूं और भारतीय क्रिकेट को आगे ले जाने की कोशिश करता हूं।'

बुमराह के मुताबिक, उम्मीदों का बोझ उठाना उनका तरीका नहीं है। उन्होंने कहा, 'हर रात मैं खुद से पूछता हूं कि क्या मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया? अगर जवाब हां होता है, तो चैन से सो जाता हूं।'

इस शानदार वापसी के बीच बुमराह का यह आत्मविश्वास और ज़मीनी सोच उन्हें दूसरों से अलग बनाती है। वो कहते हैं कि अगर ये आखिरी चोट भी होती, तो भी मैं कोशिश नहीं छोड़ता। मैं बस मेहनत करता हूं, बाकी सब ऊपरवाले पर छोड़ देता हूं।

भारतीय क्रिकेट में ऐसे खिलाड़ी कम ही हैं जो आलोचना को चुपचाप सहकर मैदान पर जवाब देते हैं और जसप्रीत बुमराह उन्हीं में से एक हैं।

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