एक छोटे चिप में समा जाएंगी अब तक लिखी सारी किताबें

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By - haribhoomi.com |21 July 2016 6:30 PM
सिंगल क्लोरीन एटम पर आधारित डाक टिकट के आकार वाले चिप में अब तक लिखी गई सारी किताबों को स्टोर किया जा सकता है।
लंदन. नीदरलैंड के वैज्ञानिकों ने डाटा स्टोरेज की समस्या से निपटने के लिए एक अनूठा समाधान निकाला है। वैज्ञानिकों ने दुनिया का सबसे छोटा हार्ड डिस्क बनाने का दावा किया है। सिंगल क्लोरीन एटम पर आधारित डाक टिकट के आकार वाले इस डिस्क में अब तक लिखी गई सारी किताबों को स्टोर किया जा सकता है।
मौजूदा समय में हर दिन एक अरब गीगाबाइट से ज्यादा नए आंकड़ों का सृजन हो रहा है। इतनी बड़ी मात्रा में डाटा को स्टोर करने के लिए जरूरी है कि प्रत्येक बिट जितना संभव हो सके उतना कम स्थान ले। डेफ्ट यूनिवर्सिटी के नैनोसाइंस विभाग के वैज्ञानिकों ने यह उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। उन्होंने एक किलोबाइट (आठ हजार बिट्स) की मेमोरी बनाने में सफलता हासिल की है। इसमें प्रत्येक बिट सिंगल क्लोरीन एटम की स्थिति को दर्शाता है।
डेल्फट यूनिवर्सिटी के नैनोसाइंस विभाग के वैज्ञानिक सैंडर ओट के मुताबिक, इस स्टोरेज क्षमता से दुनिया भर में आज तक लिखी गई सारी किताबें एक छोटे से हार्ड डिस्क में स्टोर हो जाएंगी।
सैंडर ओट के मुताबिक इस हार्ड डिस्क की स्टोरेज डेंसिटी 500 टेराबिट्स (एक लाख करोड़ बिट्स) प्रति वर्ग इंच है। यह मौजूदा हार्ड डिस्क की क्षमता से पांच सौ गुना ज्यादा है। वर्ष 1959 में प्रख्यात भौतिकविद रिचर्ड फिनमैन ने पहली बार इसकी कल्पना की थी।
वैज्ञानिकों के दल ने एटम की सतह की जांच के लिए नीडल युक्त स्कैनिंग टनलिंग माइक्रोस्कोप (एसटीएम) का इस्तेमाल किया। सैंडर ओट ने बताया कि क्लोरीन एटम के छिद्र के ऊपर होने की स्थिति में उसकी संख्या एक मानी जाती है। एटम के नीचे होने पर उसे शून्य माना जाता है।
इसकी मेमोरी आठ बाइट (64 बिट्स) के ब्लॉक में व्यवस्थित की गई है। प्रत्येक ब्लॉक में छेद से बना एक मार्कर होता है जो 'बार कोड' की तरह काम करता है। यह तांबे की परत पर ब्लॉक के स्थान का खुलासा करता है।
यह नई विधि स्थिरता और मापनीयता के मामले में प्रमुख सुधारों का वादा करता है, लेकिन इसका डेटासेंटर में इस्तेमाल करने से पहले इसके तकनीक में महत्वपूर्ण सुधार करने की आवश्यकता है।
ओट ने कहा, 'यह तकनीक बहुत ही साफ सुथरे वैक्यूम कंडीशन्स और 77 केल्विन तापमान पर काम करती है। इसलिए एक एटम के स्तर पर डाटा का वास्तविक स्टोरेज करना अभी भी थोड़ा मुश्किल है लेकिन इस उपलब्धि के माध्यम से हम निश्चित रूप से एक बड़े कदम के करीब आ गए हैं।'
साभार- साइ-टेक टुडे
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