जज ही निकले भ्रष्टाचारी, छह पर भ्रष्टाचार के आरोप तय

गाजियाबाद. करोड़ों रुपये के भविष्य निधि घोटाले में गाजियाबाद की विशेष सीबीआई कोर्ट ने छह सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के खिलाफ भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप तय किए हैं। अदालत ने भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत घोटाले में शामिल 65 लोगों पर आरोप तय किए गए हैं।
विशेष सीबीआई न्यायाधीश एके सिंह ने छह सेवानिवृत्त न्यायाधीशों आर पी मिर्शा, आर पी यादव, ए के सिंह, आर एस चौबे, आर एन मिर्शा और अरुण कुमार के खिलाफ आरोप तय किए हैं। वे साल 2001 व 2008 के बीच गाजियाबाद के जिला न्यायाधीश थे। सीबीआई के लोक अभियोजक बीके सिंह ने कहा कि इन सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के खिलाफ विभिन्न धाराओं व भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 की धारा 13 (2) को धारा 13 (1) (डी) के साथ पढ़ते हुए आरोप तय किए हैं। सीबीआई अदालत ने 6.58 करोड़ रुपये के पीएफ घोटाला में अगले माह छह दिसंबर से केस चलाने का आदेश दिया है। इसके साथ ही इस मामले में दिसंबर से सुनवाई शुरू हो जाएगी। ये सेवानिवृत्त न्यायाधीश अब जमानत पर हैं।
घोटाले का पता फरवरी 2008 में लगा जब गाजियाबाद के तत्कालीन विशेष सीबीआई न्यायाधीश रमा जैन ने इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज की थी। उच्चतम न्यायालय ने तब सीबीआई को घोटाले की जांच का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत के निर्देश पर अक्तूबर 2008 में एजेंसी ने मामले की जांच शुरू की और जुलाई 2010 में इस सिलसिले में आरोप पत्र दायर किया।
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