स्वामी निश्चलानंद ने पत्र लिखकर उठाए सवाल: अगर में दलित विरोधी तो दलित हितैषी कौन

स्वामी निश्चलानंद ने पत्र लिखकर उठाए सवाल: अगर में दलित विरोधी तो दलित हितैषी कौन
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शंकराचार्य का कहना है कि उन्होंंने श्रीमद्भगवतगीता के अध्याय 16 के श्लोक 25 और 26 का जिक्र करते हुए कहा था कि "सनातन धर्म में फल चौर्य नहीं है।
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नई दिल्ली. पिछले दिनों पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद की दलितों के मंदिर प्रवेश निषेध संबंधी टिप्पणी काफी सुर्खियोंं में रही थी लेकिन अब इस मामले में नया मोड़ आ गया है। शंकराचार्य ने जवाब देते हुए इसे पूरी तरह से बेबुनियाद और बेतुका बताया है। एक सार्वजनिक पत्र लिखकर पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने सवाल उठाया है कि "अगर मुझे दलित विरोधी सिद्ध करने का प्रयास किया जा रहा है तब प्रश्न उठता है कि दलितों का असली हितैषी कौन है?"

19 अक्टूबर दिन रविवार को लिखे पत्र में शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती लिखते हैं पत्रकारिता के नाम पर किसी व्यक्ति की अयोग्यता या कुटिलता का दायित्व मेरा नहीं है। मैंने अपनी ओर से मंदिर प्रवेश को लेकर कोई वक्तव्य नहीं दिया। शंकराचार्य का कहना है कि उन्होंंने श्रीमद्भगवतगीता के अध्याय 16 के श्लोक 25 और 26 का जिक्र करते हुए कहा था कि सनातन धर्म में फल चौर्य नहीं है। किसी भी वर्ण और आश्रम का व्यक्ति अपने अपने अधिकार की सीमा में सच्चिदानंद स्वरूप सर्वेश्वर की समर्चा कर संसिद्धि और सद्गति प्राप्त कर सकता है।" अपने पत्र में शंकराचार्य आगे लिखते हैं कि "जिस मांत्रिक, तांत्रिक और यांत्रिक विधा से व्यापक सर्वेश्वर को प्रतिष्ठित किया जाता है उसका अनुपालन कर किसी का भी उत्कर्ष सुनिश्चित है।

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नीचे की स्लाइड्स में जानिए, निश्चलानंद ने पत्रकारों पर उठाए सवाल-
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