चैत्र नवरात्र का दूसरा दिन: मां ब्रह्मचारिणी की होती है पूजा, जानिए पूजन विधि

चैत्र नवरात्र का दूसरा दिन: मां ब्रह्मचारिणी की होती है पूजा, जानिए  पूजन विधि
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घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें।

नई दिल्‍ली. आज चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन है। इस दिन यानी रविवार को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। देवी ब्रह्मचारिणी ब्रह्म शक्ति यानि तप की शक्ति का प्रतीक हैं। इनकी आराधना से भक्त की तप करने की शक्ति बढ़ती है। साथ ही सभी मनोवांछित कार्य पूर्ण होते हैं। इनकी पूजा करने से जीवन आनंद ही आनंद होता है। सभी कष्‍ट दूर हो जाते हैं। घर- परिवार में सुख और शांति बनी रहती है।

जानिए, पूजन विधि:
सबसे पहले चौकी (बाजोट) पर माता ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें। चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें। उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका(सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें। इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा मां ब्रह्मचारिणी सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें।
इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दूर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि करें। इसके बाद प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।
ये है ध्यान मंत्र:
दधना करपद्याभ्यांक्षमालाकमण्डलू।
देवीप्रसीदतु मयी ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
अर्थात: नवदुर्गा में दूसरी माता हैं ब्रह्मचारिणी। देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अद्भुत और दिव्य है। मां के दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएं हाथ में कमंडल रहता है।
नीचे की स्लाइड्स में पढ़िए, मां ब्रह्मचारिणी के नाम का राज-
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