सांसदों के लिए नहीं बनेगी फास्ट ट्रैक कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट ने पीएम के सपने को दिया झटका

सांसदों के लिए नहीं बनेगी फास्ट ट्रैक कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट ने पीएम के सपने को दिया झटका
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सुप्रीम कोर्ट ने कुछ स्पेशल कैटेगरियों जैसे कि महिलाएं और सीनियर सिटीजन के मामले तेजी से निपटाने का सुझाव दिया है।
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नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने पीएम मोदी की एक मांग को लेकर बड़ा झटका दिया है। पीएम ने दागी सांसदों के मामले तेजी से निपटाने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई के लिए कहा था। उनका मानना था कि इस तरह से पॉलीटिक्स में से अपराधियों की पहचान जल्दी होगी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा है कि सिर्फ सांसदों के मामले फास्ट ट्रैक कोर्ट में नहीं निपटाए जा सकते। उनके केसों को भी आम आदमी की तरह डील किया जाएगा।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कुछ स्पेशल कैटेगरियों जैसे कि महिलाएं और सीनियर सिटीजन के मामले तेजी से निपटाने का सुझाव दिया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तर्क दिया है कि वह सांसदों वाले मामले में अपराधियों के हित में नहीं बल्कि न्याय का बुनयादी ढांचा सही नहीं होने के कारण फास्ट ट्रैक में सुनवाई नहीं कर सकता। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से आपराधिक मामलों का तेजी ने निपटाने के लिए चार सप्ताह के अंदर प्रपोजल दाखिल करने के लिए कहा है।
इस समय लोकसभा में 53 सांसदों पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गुड गवर्नेंस का मतलब यह नहीं है कि कुछ लोगों के लिए अलग से न्याय व्यवस्था बनाई जाए। पीएम मोदी ने 11 जून को कहा था कि संसद में अपराधियों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। साथ ही मोदी ने संसद को अपराधी मुक्त बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने के लिए सांसदों से समर्थन मांगा था। इसी पर कोर्ट ने जवाब दिया है कि सांसद स्पेशल नहीं हैं जिनके लिए अलग फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाई जाएं।
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