आप ही बताओ कैसे रोकें सरदारों पर बने चुटकुले: सुप्रीम कोर्ट

आप ही बताओ कैसे रोकें सरदारों पर बने चुटकुले: सुप्रीम कोर्ट
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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और याचिकाकर्ता से नस्लीय चुटकुलों पर लगाम लगाने के लिए सुझाव मांगे हैं।
नई दिल्ली. संता-बंताचुटकुलों पर सुप्रीम कोर्ट भी दुविधा में है। इसलिए कि इन चुटकुलों पर प्रतिबंध लगाया तो आदेश पर अमल कैसे होगा। इसी वजह से मंगलवार को उसने जनहित याचिकाएं लगाने वाली वकील हरविंदर चौधरी और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से ही पूछ लिया कि 'आप ही बताओ चुटकुलों को कैसे रोकें?' चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की बेंच ने कहा, आप चाहते हैं कि कोर्ट इस मुद्दे पर लोगों को संवेदनशील बनने के निर्देश जारी करें। जब हम कहते हैं कि ऐसे चुटकुले मत सुनाओ, तो इस आदेश पर अमल कैसे सुनिश्चित होगा? हम नहीं चाहते कि लोग आपका मजाक उड़ाए। लेकिन आप ही बताइए कि हम क्या कर सकते हैं? आप छह हफ्तों में सुझाव लेकर आइए।' बेंच के अन्य जज हैं- जस्टिस आर. भानुमति और जस्टिस यूयू ललित।
ससे पहले वरिष्ठ वकील आरएस सूरी ने कहा, बात सिर्फ सिखों की नहीं है। बिहारी, पूर्वोत्तर के लोगों का भी मजाक उड़ाया जाता है। हालात बदलने चाहिए। आपको इस तस्वीर को बड़े संदर्भ में देखना होगा। मैंने 68 साल की जिंदगी में सिख प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति देखा है... फिर भी हमारा मजाक उड़ता है। यह दुखद है।' तब जस्टिस ठाकुर ने उन्हें टोका और कहा, हां... हमने सिख सेना प्रमुख भी देखा है। जल्द ही सिख चीफ जस्टिस भी मिलने वाला है।' उनका इशारा जस्टिस जेएस खेहर की ओर था, जो अगले साल चीफ जस्टिस बनेंगे।
सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा, यदि व्यवसायिक उद्देश्य से चुटकुले प्रसारित हो रहे हों तो हम उन्हें रोक सकते हैं। ख्यात लेखक खुशवंत सिंह ने भी अपनी किताब में सरदारों पर चुटकुले लिखे हैं। उन्हें काफी पसंद भी किया जाता है। मान लीजिए कि कैंटीन में आपका सहकर्मी चुटकुला सुनाता है और आप भी उस पर हंसते हैं। क्या हम उन्हें रोक सकते हैं? क्या आप अपने सहकर्मी की शिकायत करेंगे।' तब सूरी ने कहा, हम नहीं चाहते कि अव्यवहारिक आदेश जारी हो।'
इस पर बेंच ने कहा- आप ही हमें बताइए कि लोगों को इस मुद्दे पर संवेदनशील बनाने के लिए हम कैसे गाइडलाइन जारी करें?' तब सूरी ने सुझावों के साथ आने के लिए छह हफ्ते का वक्त मांगा, जो उन्हें मिल भी गया। हालांकि, पीआईएल लगाने वाली महिला वकील हरविंदर चौधरी ने कहा, मैंने रिसर्च की है। समुदाय के महज 300 या उससे भी कम लोग इन चुटकुलों का लुत्फ उठाते हैं। सामाजिक पहलू भी इस मुद्दे पर हावी हैं।'
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