करगिल शहीद मनोज कालिया का मामला इंटरनेशनल कोर्ट में नहीं उठाएगी सरकार, तेज हुआ विरोध

करगिल शहीद मनोज कालिया का मामला इंटरनेशनल कोर्ट में नहीं उठाएगी सरकार, तेज हुआ विरोध
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पड़ोसियों के साथ रिश्तों को ध्यान में रखते हुए आईसीजे में जाना कानूनी रूप से वैध नहीं होगा- सरकार
नई दिल्ली. देश की सुरक्षा के लिए सीमा शहीद होने वालों सैनिकों को न्याय दिलाने के पक्ष में नहीं है एनडीए सरकार। दरअसल मामला यह है कि करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान की हिरासत में बेरहमी से मारे गए कैप्टन सौरभ कालिया की मौत की अंतर्राष्ट्रीय जांच से एनडीए सरकार ने इनकार कर दिया है। सरकार ने पिछले दिनों संसद में एक प्रश्न के जवाब में स्पष्ट कर दिया कि फिलहाल इस मुद्दे को इंटरनेशनल कोर्ट में नहीं उठाया जाएगा। जिसके बाद राजनीति तेज हो गई है।
सरकार ने कहा था कि पड़ोसियों के साथ रिश्तों को ध्यान में रखते हुए आईसीजे में जाना कानूनी रूप से वैध नहीं होगा। 16 साल बाद भी एनडीए सरकार पाकिस्तान के खिलाफ इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में अपील करने को लेकर गंभीर नहीं है। सरकार संसद में कह चुकी है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे को उठाना मुमकिन नहीं है।
सांसद चंद्रशेखर ने संसद में सवाल पूछा था कि क्या सरकार सौरभ और पांच अन्य भारतीय सैनिकों की पाकिस्तानी सेना द्वारा हत्या किए जाने के मामले को युनाइटेड नेशंस के मानवाधिकार आयोग के समक्ष उठाएगी? क्या इस मामले पर आईसीजे का दरवाजा खटखटाया जाएगा, ताकि दोषी पाकिस्तानी सैनिकों सजा दी जा सके। सवाल के जवाब में सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा था, 'इस मसले से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को न्यूयॉर्क अधिवेशन के दौरान 22 सितंबर, 1999 को और मानवाधिकार आयोग को अप्रैल 2000 में ही अवगत करा दिया गया है। अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के जरिए कानूनी कार्रवाई के बारे में भी सारे पहलुओं पर विचार किया गया, लेकिन यह संभव नहीं लगता।'
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