Surya Grahan 2025: क्या होता है सूर्य ग्रहण? जानिए इसके प्रकार और वैज्ञानिक कारण

Surya Grahan 2025: जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है और कुछ समय के लिए सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाता, तब सूर्य ग्रहण लगता है। इस खगोलीय घटना में चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह या आंशिक रूप से ढक लेता है, जिससे धरती के कुछ हिस्सों में अंधकार जैसा दृश्य बन जाता है। वैज्ञानिक दृष्टि से सूर्य ग्रहण तब होता है जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में होते हैं और चंद्रमा अपनी छाया पृथ्वी पर डालता है।
सूर्य ग्रहण के प्रकार
पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Solar Eclipse)
इस स्थिति में चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को ढक लेता है। चंद्रमा की पूर्ण छाया (Umbra) पृथ्वी पर पड़ती है और कुछ समय के लिए दिन में अंधेरा छा जाता है। यह दृश्य सिर्फ उसी क्षेत्र में दिखाई देता है जहां परछाई की मुख्य रेखा गुजरती है।
वलयाकार सूर्य ग्रहण (Annular Solar Eclipse)
जब चंद्रमा सूर्य से अपेक्षाकृत दूरी पर होता है, तो वह सूर्य को पूरी तरह ढक नहीं पाता। इसके परिणामस्वरूप सूर्य का एक रिंग (घेरा) चारों ओर चमकता दिखाई देता है, जिसे "रिंग ऑफ फायर" भी कहा जाता है। यह दृश्य अत्यंत दुर्लभ और मनमोहक होता है।
आंशिक सूर्य ग्रहण (Partial Solar Eclipse)
इस ग्रहण में सूर्य का केवल कुछ हिस्सा ही चंद्रमा द्वारा ढका जाता है। यह तब होता है जब तीनों खगोलीय पिंड — सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी — पूरी तरह एक सीध में नहीं होते। इसे हिंदी में खंडग्रास सूर्य ग्रहण भी कहा जाता है।
क्यों जरूरी है सूर्य ग्रहण को समझना?
सूर्य ग्रहण न केवल एक सुंदर खगोलीय घटना है, बल्कि यह विज्ञान और खगोलशास्त्र के लिए भी अध्ययन का विषय है। हालांकि भारत सहित कई जगहों पर इससे जुड़ी कई धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं भी हैं, लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह एक सामान्य खगोलीय प्रक्रिया है।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। HariBhoomi.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।
अनिल कुमार
