Sawan 2025: सावन में ऐसे करें शिवलिंग पर जलाभिषेक, मिलेगा पूरा फल!

sawan Me jalabhishek ke niyam
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Sawan 2025: श्रावण मास में शिवलिंग पर जल कैसे चढ़ाएं? जानिए शिवपुराण अनुसार सही दिशा, विधि, मंत्र और सावधानियां। उत्तर दिशा से जलाभिषेक क्यों करें?

Sawan 2025: श्रावण महीने में विशेष रूप से भोलेनाथ की पूजा-अर्चना की जाती है। यह पूरा महीना भगवान शिव की उपासना और उनकी कृपा पाने का अच्छा अवसर है। मान्यता है कि श्रावण के महीने में शिवलिंग पर जल चढ़ाने से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं। शास्त्रों के अनुसार, शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय कुछ नियम होते हैं। अगर आप उनका पालन करते हैं तो कई गुना फल प्राप्त होगा। यहां जानें सावन में जलाभिषेक करने का सही नियम।

कैसे करें जलाभिषेक?

जल ले जाने का पात्र: घर से ही जल लेकर जाएं और तांबे, चांदी या कांसे के लोटे का उपयोग करें। इससे घर के दोष साथ-साथ शिवधाम तक पहुंचते हैं और नष्ट होते हैं।

जल चढ़ाने की मुद्रा: शिवलिंग पर जल बैठकर चढ़ाना चाहिए, खड़े होकर जलाभिषेक करना वर्जित माना गया है।

जलाधारी के अनुसार चढ़ाएं जल

  • दाएं ओर सबसे पहले जल चढ़ाएं और "ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र बोलें। यह स्थान भगवान गणेश को समर्पित है।
  • फिर "ॐ श्री स्कन्दाय नमः" कहते हुए कार्तिकेय जी के स्थान पर जल अर्पित करें।
  • इसके बाद शिवलिंग के केंद्र में जल चढ़ाएं — यह स्थान अशोक सुंदरी, भगवान शिव की पुत्री को समर्पित है।
  • फिर शिवलिंग के चारों ओर जल अर्पित करें, जिसे हस्त कमल कहा जाता है, और यह मां पार्वती को समर्पित है।
  • अंत में शिवलिंग के शीर्ष पर "ॐ नम: शिवाय" मंत्र का जाप करते हुए जल चढ़ाएं।

किस दिशा में खड़े होकर करें जलाभिषेक?

वैसे तो आप किसी भी दिशा में खड़े होकर जलाभिषेक कर सकते हैं लेकिन उत्तर दिशा में मुख करके ही शिवलिंग पर जल चढ़ाना श्रेष्ठ माना गया है। यह दिशा शिव जी का बायां भाग माना जाता है और मां पार्वती को समर्पित है, इसलिए इस दिशा से जल चढ़ाने पर सौम्यता और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

इन दिशाओं से भूलकर भी जल न चढ़ाएं

पूर्व दिशा में मुख करके जलाभिषेक करना वर्जित है। शिवपुराण के अनुसार, पूर्व दिशा को शिव जी के प्रवेश मार्ग के रूप में जाना जाता है। ऐसे में इस दिशा से जल चढ़ाने से ऊर्जा अवरोध उत्पन्न होता है, जो पुण्य की बजाय दोष में परिवर्तित हो सकता है।

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। HariBhoomi.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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