Kanwar Yatra 2025: सावन में कब से शुरू होगी कांवड़ यात्रा, जानिए इसके नियम और महत्व

Kawad Yatra Niyam 2025
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Kanwar Yatra 2025

Kanwar Yatra 2025: सावन 2025 में शुरू हो रही कांवड़ यात्रा! जानिए शिवभक्तों की आस्था, यात्रा के नियम, और शिव अभिषेक का धार्मिक महत्व।

Kanwar Yatra 2025: हिंदू धर्म में भगवान शिव को समर्पित सबसे पवित्र महीना सावन इस वर्ष 11 जुलाई से आरंभ हो रहा है। सावन के साथ ही शुरू होगी श्रद्धा, आस्था और तपस्या की प्रतीक कांवड़ यात्रा। यह यात्रा शिवभक्तों द्वारा गंगा या अन्य पवित्र नदियों से जल भरकर पैदल चलकर भगवान शिव को अर्पित करने की एक प्राचीन परंपरा है, जिसे हर साल लाखों श्रद्धालु निभाते हैं।

कांवड़ यात्रा का इतिहास

पौराणिक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान निकले कालकूट विष को जब भगवान शिव ने ग्रहण किया था, तब उनके शरीर में तेज जलन होने लगी। देवताओं ने उस समय उन पर पवित्र जल अर्पित किया जिससे उनकी पीड़ा शांत हुई। तभी से सावन में शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है, जिसे आज कांवड़ यात्रा के रूप में जाना जाता है।

क्या हैं कांवड़ यात्रा के नियम?

कांवड़ यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह आत्मानुशासन और भक्ति का प्रतीक भी है। कांवड़ यात्रा करते समय निम्नलिखित नियमों का पालन अनिवार्य है।

  • कांवड़ यात्रा हमेशा पैदल ही की जाती है।
  • भक्तों को शुद्ध और सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए।
  • कांवड़ को कभी भी जमीन पर नहीं रखना चाहिए; विश्राम के समय उसे किसी पेड़ या स्टैंड पर लटकाना होता है।
  • स्नान के बाद ही कांवड़ को छूना उचित माना जाता है।
  • कई श्रद्धालु नंगे पांव चलते हैं, जो इस यात्रा को और भी कठिन बनाता है।

कांवड़ यात्रा से जुड़ी आस्था और लाभ

शास्त्रों के अनुसार, सावन में कांवड़ उठाने और शिवलिंग का जलाभिषेक करने से सभी पापों का नाश होता है और भगवान शिव की कृपा बनी रहती है। कांवड़ यात्रा को जीवन में शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त करने का एक उत्तम माध्यम माना जाता है।

सावधानी और सेवा से पूर्ण हो यह यात्रा

प्रशासन और स्वयंसेवी संस्थाएं कांवड़ यात्रा के दौरान जलपान, प्राथमिक चिकित्सा और विश्राम स्थलों की व्यवस्था करती हैं। यात्रियों से अनुरोध है कि नियमों का पालन करें, पर्यावरण का ध्यान रखें और किसी भी प्रकार की अनुशासनहीनता से बचें।

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। HariBhoomi.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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