Rishi Panchami: ऋषि पंचमी कब मनाई जाएगी?, यहां जानें सही डेट, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Rishi Panchami 2025
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Rishi Panchami: ऋषि पंचमी 2025 पर्व 28 अगस्त गुरुवार को मनाया जाएगा। जानें शुभ मुहूर्त (सुबह 11:05–1:39), महत्व और सप्तऋषि की पूजा विधि।

Rishi Panchami 2025: हिंदू धर्म में ऋषि पंचमी का व्रत सप्तऋषियों की आराधना के लिए मनाया जाता है। यह व्रत विशेषकर महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह मासिक धर्म संबंधित अज्ञानपूर्वक हुए पापों से मुक्ति दिलाने का एक पवित्र माध्यम है। आइए ज्योतिषाचार्य डॉक्टर मनीष गौतम जी महाराज जी से जानते हैं ऋषि पंचमी का महत्व और इससे जुड़ी जानकारियां।

तिथि और शुभ मुहूर्त

तिथि प्रारम्भ: 27 अगस्त 2025 को अपराह्न 3:44 बजे

तिथि समाप्ति: 28 अगस्त 2025 शाम 5:56 बजे

व्रत का समय (उदयात्मक तिथि के अनुसार): 28 अगस्त 2025 को ही माना जाएगा

पूजन मुहूर्त (विधान अनुसार)

समय: सुबह 11:05 बजे से दोपहर 1:39 बजे तक (अवधि: 2 घंटे 34 मिनट)

धार्मिक दृष्टिकोण

ऋषि पंचमी सप्तऋषियों (कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि, वशिष्ठ) को श्रद्धांजलि अर्पित करने का पर्व है। इस व्रत से कई धार्मिक प्रमाणों के अनुसार पापों से मुक्ति, संतोष और वैवाहिक सुख प्राप्त होता है। विशेषकर महिलाओं द्वारा मासिक धर्म से अनजाने में टूटे नियमों की शुद्धि के लिए यह व्रत संजीवनी बनता है।

पूजन विधि

स्नान और स्वच्छता: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।

पूजा मंडप स्थापना: हल्दी, कुमकुम, रोली आदि से मंडल बनाएं। सप्तऋषियों की तस्वीर अथवा चित्र स्थापित करें

पूजा सामग्री चढ़ाना: तिलक, धूप, दीप, पुष्प, नैवेद्य (मीठा), पंचामृत आदि अर्पित करें

मंत्री मंत्रों का उच्चारण

कश्यपोऽत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोऽथ गौतमः

जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः

दहन्तु पापं मे सर्वं गृह्णन्त्वर्घ्यं नमो नमः

मंत्र से पापों का नाश और शुद्धि प्राप्त होती है

व्रत कथा सुनना एवं आरती: पूजा समाप्त होने के बाद कथा सुनें और आरती करें। अंत में ब्राह्मण दान, परिवार में प्रसाद वितरण करें

ऋषि पंचमी

तिथि (प्रारंभ–समाप्ति)- 27 अगस्त अपराह्न 3:44 बजे से 28 अगस्त शाम 5:56 बजे तक

पूजन मुहूर्त- 28 अगस्त सुबह 11:05 बजे से 1:39 बजे तक (Duration 2:34 घंटे)

महत्त्व- मासिक धर्म दोष से मुक्ति, संतुष्टि, संतान सुख, वैवाहिक जीवन में सौहार्द्र

पूजा विधि- स्नान, मंडल निर्माण, चित्र स्थापना, पंचामृत, मंत्र उच्चारण, आरती, प्रसाद-वितरण

सप्तऋषि- कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि, वशिष्ठ

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। HariBhoomi.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।

अनिल कुमार

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