Rakshabandhan 2025: रक्षाबंधन पर भद्रा और राहुकाल में न बांधें राखी, जानिए धार्मिक वजह

Raksha Bandhan 2025
X
Rakshabandhan 2025: रक्षाबंधन में राखी बांधते समय भद्रा और राहुकाल का ध्यान क्यों जरूरी है? जानिए इन अशुभ समयों के पीछे की धार्मिक मान्यताएं और सही मुहूर्त में राखी बांधने का महत्व।

Rakshabandhan 2025: भाई-बहन के अटूट प्रेम और स्नेह का प्रतीक रक्षाबंधन पर्व हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को पूरे देश में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस दिन बहनें भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और उसकी लंबी उम्र, सफलता व समृद्धि की कामना करती हैं। वहीं भाई जीवनभर बहन की रक्षा का संकल्प लेते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राखी बांधने के लिए सही समय और मुहूर्त का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक होता है। विशेषकर भद्रा काल और राहुकाल के समय राखी बांधना वर्जित माना गया है, क्योंकि इन दोनों समयों को अशुभ मुहूर्त माना जाता है।

क्या है भद्रा और क्यों माना जाता है इसे अशुभ?

भद्रा, पंचांग के पांच अंगों में से एक “करण” की एक विशेष स्थिति है। जब भद्रा पृथ्वी लोक में होती है, तो उसे विशेष रूप से अशुभ माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भद्रा शनिदेव की बहन हैं, जिनका स्वभाव उग्र और क्रोधित बताया गया है। कहा जाता है कि ब्रह्मा जी ने भद्रा को यह श्राप दिया कि उनके समय में किए गए शुभ कार्यों का फल उल्टा होगा। रक्षाबंधन जैसे शुभ कार्य में यदि भद्रा काल का उल्लंघन होता है, तो मान्यता है कि इससे भाई के जीवन में संकट या बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं। यही कारण है कि पंचांग देखकर ही शुभ मुहूर्त में राखी बांधने की परंपरा बनी हुई है।

राहुकाल

ज्योतिष में राहुकाल को भी शुभ कार्यों के लिए अनुपयुक्त माना गया है। यह हर दिन लगभग डेढ़ घंटे का वह समय होता है जब राहु ग्रह का प्रभाव अत्यधिक होता है। माना जाता है कि इस समय में शुरू किए गए कार्यों में विघ्न पड़ता है और उनका परिणाम नकारात्मक हो सकता है।

राखी बांधना एक शुभ और पवित्र कार्य है। राहुकाल में इस रिवाज को निभाने से भाई-बहन के रिश्तों में कड़वाहट या दूरी आ सकती है, ऐसा धार्मिक विश्वास है। इसी कारण विद्वान सलाह देते हैं कि राहुकाल में किसी भी नए कार्य, यात्रा या मांगलिक गतिविधि से बचा जाए।

धार्मिक संदेश

रक्षाबंधन केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि संस्कार और आत्मीयता का उत्सव है। यह पर्व हमें रिश्तों की अहमियत, समय की महत्ता और आस्था के बल को समझाता है। भद्रा और राहुकाल में राखी न बांधने की परंपरा हमें प्राचीन काल से चली आ रही समयसिद्ध मान्यताओं से जोड़ती है। शुभ मुहूर्त में राखी बांधना न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से उचित है, बल्कि यह भाई-बहन के रिश्ते में सकारात्मक ऊर्जा और विश्वास को भी मजबूत करता है।

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। HariBhoomi.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।

अनिल कुमार

WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo

Tags

Next Story