Radha Ashtami 2025: कहां हुआ था श्री राधा रानी का जन्म? पढ़ें पौराणिक कथा

Radha Ashtami 2025: श्री राधा रानी को लेकर आम धारणा है कि उनका जन्म बरसाना में हुआ था, लेकिन ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार राधा जी का जन्म बरसाना से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित रावल गांव में हुआ था। यह स्थान आज भी राधा जी के जन्म स्थल के रूप में श्रद्धा और भक्ति का केंद्र बना हुआ है।
कमल पुष्प से प्रकट हुईं
रावल गांव स्थित राधा रानी मंदिर के गर्भगृह में वह स्थान स्थित है, जहां राधा जी का जन्म हुआ था। मान्यता है कि राधा जी की माता कृति देवी यमुना नदी में स्नान करते हुए पुत्री प्राप्ति की कामना कर रही थीं। तभी यमुना से एक स्वर्ण प्रकाश से युक्त कमल का फूल प्रकट हुआ, जिसमें एक सुंदर बालिका आंखें बंद किए हुई थीं। यही बालिका आगे चलकर राधा रानी बनीं।
11 महीने बाद भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ और वे नंदबाबा के घर गोकुल लाए गए। जब राजा वृषभान राधा रानी को लेकर बालकृष्ण से मिलने पहुंचे, तो राधा रानी घुटनों के बल चलते हुए उनके पास गईं और वहीं उनके नेत्र खुल गए। यह पहला दर्शन राधा रानी ने श्रीकृष्ण का किया।
क्यों गए राधा-कृष्ण बरसाना और नंदगांव?
कृष्ण के जन्म के बाद कंस का अत्याचार गोकुल में बढ़ने लगा था, जिससे वहां के निवासी भयभीत हो गए। नंदबाबा ने तत्कालीन बृज क्षेत्र के राजा वृषभान (राधा रानी के पिता) के साथ मिलकर निर्णय लिया कि सभी लोग गोकुल और रावल को छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर प्रस्थान करेंगे।
नंद बाबा ने अपनी प्रजा के साथ एक पहाड़ी पर बसेरा लिया, जिसे आज नंदगांव कहा जाता है। वृषभान जी अपनी पत्नी कृति और राधा रानी के साथ जिस पहाड़ी पर बसे, वही स्थान आज बरसाना कहलाता है।
राधा-श्याम के वृक्ष स्वरूप का रहस्य
रावल गांव में राधा रानी मंदिर के सामने एक प्राचीन बागीचा स्थित है। मान्यता है कि इस स्थान पर आज भी राधा और कृष्ण वृक्ष रूप में विराजमान हैं। यहां दो पेड़ साथ-साथ खड़े हैं — एक श्वेत रंग का और दूसरा श्याम रंग का। भक्तों का विश्वास है कि ये वृक्ष स्वयं राधा-श्याम के प्रतीक हैं, जो आज भी यमुना नदी की ओर दृष्टि लगाए हुए हैं।
