राधा अष्टमी 2025: सौभाग्य प्राप्ति के लिए विधि-विधान और शुभ मुहूर्त में करें पूजा, जानें महत्व

Radha Ashtami 2025
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Radha Ashtami 2025: राधा अष्टमी 2025 पर जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व। इस खास दिन पर राधा-कृष्ण की आराधना से पाएं सौभाग्य, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद।

Radha Ashtami 2025: भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी मनाई जाती है। यह पर्व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद आता है। इस दिन श्रद्धालु उपवास रखते हैं और माता राधा की पूजा करते हैं। मान्यता है कि व्रत व पूजा से घर में सुख-शांति बनी रहती है और भगवान कृष्ण का भी आशीर्वाद मिलता है।

राधा अष्टमी 2025 के खास योग

सूर्य: सिंह राशि में रहेंगे

चंद्रमा: वृश्चिक राशि में रहेंगे

अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:56 से दोपहर 12:47 तक

राहुकाल: सुबह 9:10 से 10:46 तक

राधा अष्टमी का महत्व

राधा जी को भगवान कृष्ण की ह्लादिनी शक्ति कहा गया है यानी वह शक्ति जो आनंद प्रदान करती है। मान्यता है कि बिना राधा जी की पूजा के, कृष्ण की पूजा अधूरी रहती है। इस दिन व्रत व पूजा करने से जीवन में पापों का नाश होता है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

राधा जी का जन्म

राधा रानी का जन्म बरसाना (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। उनके पिता का नाम वृषभानु और माता का नाम कीर्तिदा था। मान्यता है कि राधा ने अपनी आंखें पहली बार तभी खोलीं, जब उन्होंने श्रीकृष्ण को देखा।

राधा अष्टमी पूजा विधि

ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ-सफाई के बाद पूजा स्थल तैयार करें। एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर राधा-कृष्ण की मूर्ति या तस्वीर रखें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें और राधा जी को लाल वस्त्र, फूल, श्रृंगार सामग्री व मिठाई अर्पित करें।

खास बात

तुलसी दल अर्पित करना विशेष शुभ माना जाता है।

राधा-कृष्ण की आरती करें और परिक्रमा करें।

"ॐ ह्रीं श्री राधिकायै नमः" मंत्र का जाप करें।

अंत में प्रसाद ग्रहण करें और व्रत पूरा करें।

कुल मिलाकर राधा अष्टमी का यह दिन सिर्फ व्रत या पूजा-पाठ का नहीं है, बल्कि प्रेम, भक्ति और समर्पण का उत्सव भी है। इस दिन श्रद्धा से राधा-कृष्ण की आराधना करने से जीवन में आनंद, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।


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