Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद महाराज से जानें क्यों आता है जीवन में दुख?

Premanand Ji Maharaj
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प्रेमानंद जी महाराज।
Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज ने अपने सत्संग में जीवन में दुखों के कारण और समाधान पर प्रकाश डाला। जानिए उनके सरल लेकिन गहरे आध्यात्मिक विचार।

Premanand Ji Maharaj: भक्ति और साधना के मार्गदर्शक, संत प्रेमानंद जी महाराज ने हाल ही में अपने सत्संग में जीवन के दुखों की प्रकृति और उनके समाधान को लेकर गहन विचार साझा किए। उनकी वाणी न केवल भक्तों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है, बल्कि जटिल जीवन समस्याओं के सरल उत्तर भी देती है।

दुख क्यों आते हैं जीवन में?
सत्संग के दौरान एक भक्त ने प्रश्न किया कि आखिर इंसान के जीवन में दुख क्यों आते हैं? प्रेमानंद जी महाराज ने बड़े सहज और प्रेमपूर्ण भाव से उत्तर दिया – "सुख और दुख, दोनों ही इस संसार के स्वाभाविक अंग हैं। जिस प्रकार दिन के बाद रात आती है, उसी तरह सुख के बाद दुख भी आता है।"

महाराज जी ने समझाया कि सुख और दुख जीवन के दो पहलू हैं, जिन्हें स्वीकार करना ही जीवन की सच्ची समझ है। केवल सुख की कामना करना और दुख से घबराना एक पक्षीय दृष्टिकोण है। उन्होंने कहा कि "दुख किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं आते, ये सबके जीवन का हिस्सा हैं।"

अज्ञान ही दुख का जड़ स्रोत
अपने प्रवचन में महाराज जी ने यह भी बताया कि दुख का मूल कारण अज्ञान (अविद्या) है। जब हम अपने वास्तविक स्वरूप, ईश्वर और धर्म के मार्ग से भटक जाते हैं, तब हमारे भीतर असुरक्षा, चिंता और पीड़ा जन्म लेती है। उन्होंने कहा, "जिस दिन हम जान लेंगे कि हम केवल शरीर नहीं, आत्मा हैं — उसी दिन दुखों की जड़ कटने लगेगी।"

भक्ति ही समाधान है
प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, जीवन के दुखों से मुक्ति का एकमात्र रास्ता है ईश्वर का स्मरण, उनका नाम जप और सच्चे मन से की गई भक्ति। उन्होंने कहा, "जब तक जीवन में भगवान का नाम नहीं बसेगा, तब तक मन को स्थायी शांति नहीं मिल सकती।"

सोशल मीडिया से जुड़ रहे लाखों श्रद्धालु
प्रेमानंद जी महाराज आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया के माध्यम से भी लाखों लोगों तक अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा पहुँचा रहे हैं। उनके प्रवचनों से प्रभावित होकर देश-विदेश में लोग ईश्वर के प्रति आस्था, संतुलन और आत्मिक जागरूकता की ओर बढ़ रहे हैं।

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