Vastu Tips: पूजा-पाठ में न करें इन वास्तु नियमों की अनदेखी, नहीं तो हो सकता है नुकसान

Pooja Vastu Tips
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Pooja Vastu Tips: घर में पूजा-पाठ करते समय इन वास्तु नियमों का ध्यान ज़रूर रखें। गलत दिशा, गंदगी या गलत विधि से पूजा का प्रभाव कम और नकारात्मकता बढ़ सकती है।

Pooja Vastu Tips: हिंदू धर्म में घर में पूजा-पाठ को विशेष महत्व दिया गया है। माना जाता है कि सुबह-शाम अगर ईश्वर की उपासना की जाए तो घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है। लेकिन कई बार हम पूजा करते समय कुछ छोटी-छोटी वास्तु संबंधी गलतियां कर बैठते हैं, जो न केवल पूजा का प्रभाव कम करती हैं बल्कि नकारात्मक ऊर्जा को भी आकर्षित कर सकती हैं।

मंदिर की दिशा बहुत मायने रखती है

वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में मंदिर की स्थापना उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) या पूर्व दिशा में करनी चाहिए। ये दिशाएं आध्यात्मिक रूप से शक्तिशाली मानी जाती हैं और यहां पूजा करने से सकारात्मकता बढ़ती है।

ध्यान दें: भगवान की मूर्तियों का मुख दक्षिण दिशा की ओर कभी न हो, क्योंकि यह अशुभ फलदायी हो सकता है।

पूजा करने का तरीका क्या है?

वास्तु शास्त्र में यह भी बताया गया है कि बैठकर पूजा करना अधिक फलदायी होता है, बजाय खड़े होकर पूजा करने के। जब आप शांत चित्त होकर, जमीन पर आसन लगाकर पूजा करते हैं, तो उसका प्रभाव अधिक गहरा होता है। साथ ही पूजा करते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।

दीपक जलाने के नियम

पूजा के समय घी या सरसों के तेल का दीपक जलाना शुभ माना गया है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यदि दीपक धातु का है, तो उसे नियमित रूप से साफ करना भी जरूरी होता है, क्योंकि गंदे दीपक से पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता।

उपाय: दीपक को मंदिर के दाएं या सामने रखें और उसका मुख भी पूर्व दिशा की ओर रखें।

मंदिर के पास न रखें ये चीजें

घर का मंदिर एक शुद्ध और पवित्र स्थान होता है। इसलिए इसके पास किसी भी प्रकार की गंदगी, जूते-चप्पल, या कूड़ादान नहीं होना चाहिए। मंदिर को कभी भी शौचालय के पास, सीढ़ियों के नीचे या बेडरूम में बेड के ठीक सामने नहीं बनाना चाहिए।

सफाई और वस्त्रों का रखें ध्यान

पूजा से पहले स्नान करना और साफ वस्त्र पहनना न केवल धार्मिक दृष्टि से आवश्यक है बल्कि यह मानसिक शुद्धता का भी प्रतीक है। गंदे कपड़े पहनकर या बिना स्नान किए पूजा करना वास्तु के अनुसार अशुद्धता का संकेत माना जाता है।

क्या करें और क्या न करें

करें

न करें

मंदिर को उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में बनाएं

दक्षिण दिशा में भगवान का मुख न रखें

बैठकर और पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करें

खड़े होकर या पश्चिम दिशा की ओर मुख करके पूजा न करें

रोज दीपक जलाएं और साफ रखें

गंदे दीपक या बिना दीपक के पूजा न करें

मंदिर के पास सफाई रखें

मंदिर के पास कूड़ा, जूते या शौचालय न हो

स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें

गंदे कपड़ों में पूजा न करें



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