Navratri Maha Navami 2025: 30 सितंबर या 1 अक्टूबर कब है महा नवमी?, जानें सही डेट और शुभ मुहूर्त

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छतरपुर मंदिर: यह मंदिर देवी कात्यायनी को समर्पित है। यह मंदिर दक्षिण दिल्ली के महरौली क्षेत्र में स्थित है। इस मंदिर की स्थापना संत श्री नागपाल बाबा ने 1974 में की थी।
नवरात्रि की महा नवमी 1 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी। जानें मां सिद्धिदात्री पूजन, कन्या भोज और हवन के शुभ मुहूर्त व धार्मिक महत्व।

Navratri Maha Navami 2025: शारदीय नवरात्रि का अंतिम दिन, जिसे महा नवमी या दुर्गा नवमी के नाम से जाना जाता है, इस वर्ष विशेष संयोगों के साथ आने वाला है। इस दिन मां दुर्गा के नवम स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही हवन पूजन और कन्या भोज जैसे धार्मिक अनुष्ठान भी विशेष महत्व रखते हैं। पंचांग के अनुसार, इस बार शारदीय नवरात्रि 2025 में एक दिन अधिक होने के कारण महा नवमी की तिथि में भ्रम की स्थिति बनी हुई है, लेकिन ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार महा नवमी 1 अक्टूबर 2025, बुधवार को मनाई जाएगी।

महा नवमी तिथि और समय

नवमी तिथि प्रारंभ: 30 सितंबर 2025, शाम 06:06 बजे

नवमी तिथि समाप्त: 1 अक्टूबर 2025, शाम 07:01 बजे

इसलिए महा नवमी व्रत और पूजन 1 अक्टूबर को किया जाएगा।

हवन पूजन मुहूर्त

हवन पूजन का विशेष महत्व नवमी पर होता है, जिसे पूर्णाहुति या कन्या पूजन के बाद किया जाता है।

हवन पूजन का शुभ मुहूर्त

1 अक्टूबर 2025 को सुबह 06:14 बजे से शाम 06:07 बजे तक

कन्या पूजन का महत्व

महा नवमी पर 9 कन्याओं और एक लंगुर (बालक) को भोजन कराकर उन्हें दक्षिणा व उपहार देना अत्यंत शुभ माना गया है। मान्यता है कि इन कन्याओं में नवदुर्गा का रूप विद्यमान होता है, और इन्हें पूजने से मां दुर्गा का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। नवमी के दिन कन्या पूजन करने से पूरे नवरात्रि पूजन का फल प्राप्त होता है। यह दिन विशेष रूप से कन्याओं के सम्मान, शक्ति और ऊर्जा के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

मां सिद्धिदात्री की आराधना का महत्व

  • नवमी को मां सिद्धिदात्री, जो नवदुर्गा का अंतिम स्वरूप हैं, उनकी पूजा की जाती है।
  • मां सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी हैं।
  • उनकी कृपा से साधक को आध्यात्मिक उन्नति, आत्मविश्वास और सफलता प्राप्त होती है।

1 अक्टूबर 2025 को महा नवमी का पर्व श्रद्धा और विधिपूर्वक मनाएं। इस दिन हवन, कन्या पूजन और मां सिद्धिदात्री की आराधना कर नवरात्रि व्रत का समापन करें। यह दिन न केवल पूजा-पाठ का है, बल्कि नारी शक्ति और संस्कृति के सम्मान का प्रतीक भी है।

इस दिन क्या करें?

  • कन्या पूजन से पहले घर की शुद्धता और पूजा स्थल की सफाई अवश्य करें।
  • कन्याओं को भोजन कराने के बाद यथाशक्ति वस्त्र, उपहार और दक्षिणा दें।
  • हवन में गाय के घी, चंदन, गुड़, इलायची, लौंग जैसे शुद्ध सामग्री का प्रयोग करें।

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। HariBhoomi.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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