नवरात्रि अष्टमी-नवमी: क्यों किया जाता है कन्या पूजन? जानिए महत्व, विधि, फायदे और नियम

नवरात्रि कन्या पूजन 2025: महत्व, विधि, फायदे और नियम
पंडित राम शुक्ला, मैहर धाम (शारदा माता)
नवरात्रि में कन्या पूजन की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। शास्त्रों के अनुसार, इंद्रदेव को भगवान ब्रह्मा ने माता भगवती को प्रसन्न करने के लिए कुमारी कन्याओं का पूजन और भोजन कराने की सलाह दी थी। तभी से यह परंपरा शुरू हुई।
कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है, और उनका पूजन करने से माता रानी प्रसन्न होकर भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
कन्या पूजन से मिलने वाले लाभ
- देवी का स्वरूप: कन्याएं मां दुर्गा की नौ शक्तियों का प्रतीक हैं।
- सुख-समृद्धि: घर में शांति और समृद्धि आती है।
- नारी शक्ति का सम्मान: समाज में स्त्री शक्ति के सम्मान का संदेश मिलता है।
- पापों का नाश: शास्त्रों में कहा गया है कि इससे पाप नष्ट होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।
कन्या पूजन कब करना चाहिए?
- नवरात्रि के आठवें दिन (दुर्गा अष्टमी) और नौवें दिन (महानवमी) को कन्या पूजन का विशेष महत्व है।
- अष्टमी का दिन सबसे शुभ माना जाता है।
- कई भक्त नवरात्रि के प्रत्येक दिन भी कन्याओं का पूजन करते हैं।
- कन्या पूजन में लांगूर (बालक) क्यों शामिल किया जाता है?
- लांगूर या बालक को भगवान भैरव का स्वरूप माना जाता है।
- भैरव की उपस्थिति से पूजा विघ्नमुक्त और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षित रहती है।
- यदि बालक न मिले, तो बटुक भैरव के प्रतीक के रूप में गुड्डे की पूजा करके बाद में किसी बच्चे को दान किया जा सकता है।
कन्या पूजन की सामग्री
- पूजन सामग्री: आसन, जल, रोली, अक्षत, कुमकुम, हल्दी, मौली, पुष्प, दीपक, अगरबत्ती।
- भोजन: हलवा, चना, पूड़ी, मिठाई।
- दक्षिणा/उपहार: धन, वस्त्र, चूड़ी, बिंदी, रिबन, रुमाल।
कन्या पूजन की विधि
- कन्याओं को आमंत्रित करें: 3 से 10 वर्ष की 1, 5, 7 या 9 कन्याएं और 1 बालक बुलाएं।
- स्वागत करें: सच्चे मन से अभिवादन करें।
- पूजा स्थल तैयार करें: चौकी पर लाल/पीला कपड़ा बिछाकर मां दुर्गा की मूर्ति/चित्र स्थापित करें और दीप जलाएं।
कन्याओं का पूजन:
- उनके पैर धोएं।
- तिलक लगाएं, मौली बांधें और पुष्प अर्पित करें।
मंत्र जाप करें:
ॐ श्री ढुं दुर्गायै नमः
ॐ श्री कुमार्यै नमः
देवी सर्वभूतेषु कन्या रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
- भोजन कराएं: हलवा, चना, पूड़ी आदि खिलाएं।
- दक्षिणा और उपहार दें: धन, वस्त्र या शृंगार सामग्री दें।
- आशीर्वाद लें: कन्याओं के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करें।
यदि कन्या या लांगूर न मिलें तो क्या करें?
- कन्या न मिलने पर: मंदिर या अनाथालय में कन्याओं को भोजन कराएं।
- लांगूर न मिलने पर: गुड्डे को भैरव का प्रतीक मानकर पूजा करें और दान कर दें।
कन्या पूजन के फायदे
- मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है।
- घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।
- परिवार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- नकारात्मक ऊर्जा और पापों का नाश होता है।
- कलह और कष्ट दूर होते हैं।
कन्या पूजन के बाद क्या दान करें?
- लाल वस्त्र, शृंगार सामग्री, चांदी का सिक्का, अन्न और धन।
- दान करने से पूजा का पूर्ण फल मिलता है और घर में बरकत बढ़ती है।
- कन्या पूजन में भूलकर भी न करें ये गलतियां
- पूजा स्थल और भोजन अस्वच्छ न रखें।
- कन्याओं से रूखा व्यवहार न करें।
- बासी भोजन या बाजार का खाना न परोसें।
- दिखावे के लिए पूजा न करें, श्रद्धा रखें।
- दक्षिणा दिए बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।
- तिलक दक्षिण दिशा की ओर मुख करके न लगाएं।
- कन्याओं को पैर छूने न दें।
नवरात्रि का कन्या पूजन माता दुर्गा की कृपा पाने का सबसे सरल और प्रभावी उपाय है। इसे पूरे विधि-विधान और श्रद्धा से करें। इससे घर में सुख, शांति, समृद्धि और नकारात्मकता से मुक्ति मिलती है।
