Shardiya Navratri 2025 Day 6: देवी कात्यायनी की उपासना से विवाह में आ रही बाधा होगी दूर, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Shardiya Navratri 2025 Day 6: शारदीय नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा का विशेष महत्व है। षष्ठी तिथि को देवी की इस दिव्य रूप की आराधना करने से भय, रोग और जीवन की जटिल समस्याओं से मुक्ति मिलती है। विशेष रूप से, विवाह में आ रही अड़चनों को दूर करने के लिए मां कात्यायनी की पूजा अत्यंत फलदायी मानी गई है।
पूजा का शुभ मुहूर्त और तिथि
नवरात्रि की षष्ठी तिथि 27 सितंबर 2025 को दोपहर 12:06 बजे से प्रारंभ होकर 28 सितंबर को दोपहर 2:28 बजे तक रहेगी। ऐसे में मां कात्यायनी की पूजा 28 सितंबर को करना श्रेष्ठ रहेगा।
देवी कात्यायनी का स्वरूप
मां कात्यायनी का वर्ण सोने के समान तेजस्वी है। उनकी चार भुजाएं हैं। जिसमें एक में तलवार, दूसरे में कमल का फूल है। एक हाथ अभय मुद्रा में है और एक वरदमुद्रा में। शेर उनकी सवारी है, जो उनके वीरता और शक्ति के प्रतीक हैं।
पौराणिक मान्यता
मां कात्यायनी को ब्रह्मा की मानस पुत्री और ऋषि कात्यायन की पुत्री माना जाता है। इसी कारण उन्हें 'कात्यायनी' नाम मिला। पूर्वी भारत में इन्हें 'छठ मैया' के रूप में भी पूजा जाता है।
मां कात्यायनी की कृपा किन पर होती है विशेष?
विवाह योग्य युवक-युवतियों के लिए मां कात्यायनी की उपासना अत्यंत प्रभावी मानी जाती है। यदि विवाह में बार-बार रुकावट आ रही हो, तो इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से शीघ्र उत्तम विवाह योग बनता है।
मां कात्यायनी की पूजा विधि और मंत्र
भोग: शहद या शहद से बनी खीर
प्रिय रंग: पीला
मुख्य मंत्र
ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरी,
नन्दगोपसुतं देवी पति मे कुरु ते नमः॥
ॐ ह्रीं नमः॥
मां कात्यायनी की आरती
जय जय अंबे जय कात्यायनी,
जय जगमाता जग की महारानी।
जो भी मां को भक्त पुकारे,
कात्यायनी सब कष्ट निवारे॥
छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा साधक को आंतरिक बल, साहस और सौभाग्य प्रदान करती है। विशेष रूप से कन्याओं और युवाओं के लिए यह दिन अत्यंत शुभ माना गया है। श्रद्धा और भक्ति से की गई उपासना निश्चित रूप से फलदायी होती है।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। HariBhoomi.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।
