Madhusarpis Yog 2025: 20 जून को एक साथ बन रहे विशेष योग, यहां पढ़ें इस दिन क्या करें और किन चीजों से बचें

Madhusarpis Yog 2025: 20 जून को पंचांग के अनुसार एक विशिष्ट योग बन रहा है, जिसे मधुसर्पिष योग कहा जाता है। नाम से यह योग जितना मधुर प्रतीत होता है, उसका प्रभाव उतना ही उलझा हुआ और कभी-कभी हानिकारक भी हो सकता है। ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि यह योग अमृत सिद्धि जैसे शुभ योगों को भी निष्फल कर सकता है, यदि तिथि, वार और नक्षत्र का मेल सही न हो।
क्या है मधुसर्पिष योग?
‘मधु’ यानी शहद और ‘सर्पिष’ यानी घी—दोनों ही पवित्र और आयुर्वेदिक दृष्टि से हितकारी माने जाते हैं। लेकिन आयुर्वेद और कर्मकांड शास्त्रों के अनुसार, इनका अनुचित मिश्रण विषाक्त प्रभाव दे सकता है। यही विचार ज्योतिष में भी लागू होता है, जब कुछ विशेष तिथियाँ, वार और नक्षत्र एक साथ आते हैं और शुभ योग को बाधित कर देते हैं।
यह योग कब और कैसे बनता है?
- रविवार + हस्त नक्षत्र + पंचमी तिथि
- सोमवार + मृगशिरा नक्षत्र + षष्ठी तिथि
- सोमवार + अश्विनी नक्षत्र + सप्तमी तिथि
- बुधवार + अनुराधा नक्षत्र + अष्टमी तिथि
- गुरुवार + कृतिका नक्षत्र + नवमी तिथि
- शनिवार + रोहिणी नक्षत्र + एकादशी तिथि
क्यों है यह योग महत्वपूर्ण?
20 जून को पंचांग के अनुसार गुरुवार, कृतिका नक्षत्र, और नवमी तिथि का संयोग बन रहा है, जो मधुसर्पिष योग की एक सक्रिय स्थिति है। ऐसे में भले ही पंचांग में अमृतसिद्धि या सर्वार्थसिद्धि योग दर्शाए गए हों, लेकिन यह संयोग उन्हें अशुभ प्रभाव में बदल सकता है।
किसे रखना चाहिए विशेष ध्यान?
- विवाह, गृह प्रवेश, नया व्यापार आरंभ, भूमि पूजन जैसे शुभ कार्यों से जुड़े लोग
- मुहूर्त देखने वाले पंडित, ज्योतिषी और आयोजनकर्ता
- आम नागरिक जो शुभ दिनों में कार्य प्रारंभ करना चाहते हैं
क्या करें?
- इस दिन बड़े निर्णय या नए कार्य करने से पहले किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह लें।
- पंचांग में सिर्फ शुभ योग देखना पर्याप्त नहीं है—संयोगों की गहराई से जांच जरूरी है।
- यदि संभव हो तो कार्य को किसी और दिन के लिए टालें या दोष निवारण उपाय करें।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। HariBhoomi.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।
