Kalashtami Vrat 2025: कालाष्टमी व्रत आज, जानिए शुभ मुहूर्त, योग और पूजा का महत्व

Kalashtami Vrat 2025: सनातन धर्म में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन को कालाष्टमी के रूप में मनाया जाता है, जो कि भगवान काल भैरव को समर्पित पर्व है। आश्विन माह की कालाष्टमी इस बार रविवार, 14 सितंबर 2025 को मनाई जा रही है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक व्रत रखकर भैरव बाबा की पूजा करने से जीवन के सभी संकट और कष्ट दूर हो जाते हैं।
कालाष्टमी 2025 की तिथि और समय
- अष्टमी तिथि प्रारंभ: 14 सितंबर, सुबह 05:04 बजे
- अष्टमी तिथि समाप्त: 15 सितंबर, रात 03:06 बजे तक
- कालाष्टमी व्रत तिथि: 14 सितंबर (रविवार)
पूजा का महत्व
कालाष्टमी पर काल भैरव की पूजा से व्यक्ति को बुरी शक्तियों, बुरे ग्रहों और आकस्मिक संकटों से मुक्ति मिलती है। यह दिन विशेष रूप से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और जीवन में सुरक्षा कवच प्राप्त करने के लिए आदर्श माना जाता है। भक्त इस दिन व्रत रखते हैं। भैरव चालीसा या स्तुति का पाठ करते हैं। काले कुत्ते को भोजन कराते हैं (जो भैरव देव के वाहन माने जाते हैं) इसके बाद रात्रि जागरण करके दीपदान करते हैं।
कालाष्टमी पर बन रहे विशेष योग
सिद्धि योग
14 सितंबर को दिन में सुबह 07:35 बजे से शुरू होकर 15 सितंबर सुबह 04:55 बजे तक सिद्धि योग रहेगा। इस योग में की गई पूजा विशेष फलदायक मानी जाती है।
शिववास योग
पूरे दिन और रात्रि को शिववास योग रहेगा, जो भैरव बाबा की उपासना को और भी प्रभावशाली बनाता है।
रवि योग और विजय मुहूर्त
इस दिन रवि योग और विजय मुहूर्त भी रहेंगे, जो शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ समय माने जाते हैं।
कालाष्टमी व्रत विधि
- प्रातः स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें
- काल भैरव जी का अभिषेक करें (दूध, दही, शहद, गंगाजल आदि से)
- भैरव चालीसा, अष्टक, या काल भैरव कवच का पाठ करें
- उन्हें काले तिल, काले वस्त्र, सरसों के तेल का दीपक अर्पित करें
- रात को मंदिर या घर में भजन-कीर्तन कर जागरण करें
- व्रत के समापन पर ब्राह्मण या काले कुत्ते को भोजन कराएं
कालाष्टमी व्रत केवल एक उपासना नहीं, बल्कि आत्म-शुद्धि, भय से मुक्ति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने का एक विशेष अवसर है। आश्विन मास की इस कालाष्टमी पर यदि श्रद्धापूर्वक भगवान काल भैरव की पूजा की जाए, तो जीवन में स्थायित्व, शक्ति और सफलता के द्वार खुलते हैं।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। HariBhoomi.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।
