Hartalika Teej 2025: कुंवारी कन्याएं इन नियमों के साथ करें व्रत, मिलेंगे शिव जैसे पति

Hartalika Teej 2025: हरतालिका तीज का पावन पर्व हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत माता पार्वती द्वारा भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने की कथा से जुड़ा हुआ है और विशेष रूप से महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। जहां विवाहित स्त्रियां इस दिन अपने वैवाहिक जीवन की सुख-शांति के लिए उपवास रखती हैं, वहीं अविवाहित कन्याएं शिव जैसा आदर्श जीवनसाथी पाने की कामना से यह व्रत श्रद्धा और नियमों के साथ करती हैं। यहां जानिए कुंवारी कन्याओं के लिए हरतालिका तीज 2025 के व्रत से जुड़े महत्वपूर्ण नियम और परंपराएं, साथ ही करें और न करें।
हरतालिका तीज 2025 व्रत की तिथि
तिथि: 26 अगस्त 2025
दिन: मंगलवार
व्रत का प्रकार: निर्जला उपवास
व्रत के विशेष नियम
निर्जला व्रत रखें: व्रत के दिन ना अन्न ग्रहण करें, ना जल। यह उपवास अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण के साथ पूर्ण होता है।
मिट्टी से बनाएं मूर्तियां: शिव-पार्वती और गणेशजी की मूर्तियां रेत, मिट्टी या शुद्ध आटे से बनाएं या स्वच्छ मूर्तियां स्थापित करें।
पूजा स्थान की तैयारी: एक साफ स्थान पर लाल कपड़ा बिछाकर वेदी सजाएं। फूलों, दीपक और धूप से वातावरण को पवित्र करें।
पूजन सामग्री रखें
रोली, चंदन, गंगाजल, बेलपत्र, धतूरा, फल-फूल, मिठाई, अक्षत (चावल), दीपक
शाम को करें विधिपूर्वक पूजा: स्नान के बाद शुभ रंग (लाल, पीला या गुलाबी) के वस्त्र पहनें। शांत मन से भगवान शिव-पार्वती की पूजा करें और हरतालिका व्रत कथा सुनें।
रात को करें जागरण: यह व्रत जागरण के साथ पूर्ण होता है। रात्रि में भजन-कीर्तन करें, शिव-पार्वती के विवाह गीत गाएं और प्रभु का ध्यान करते हुए रात्रि जागरण करें।
पारण: अगले दिन सूर्योदय के बाद माता-पिता या बड़ों से आशीर्वाद लेकर व्रत का पारण करें। जल और फल के साथ व्रत तोड़ें।
क्या करें?
मन और शरीर को पवित्र रखें।
शिव-पार्वती के प्रेम और समर्पण से प्रेरणा लें।
व्रत के दौरान मन में संयम, श्रद्धा और सेवा का भाव रखें।
पूजा के समय मनोयोग से मंत्रों का उच्चारण करें।
माता-पिता और गुरुजनों का आशीर्वाद लें।
क्या न करें?
व्रत में जल या अन्न का सेवन न करें।
पूजा के समय किसी से विवाद, अपशब्द या क्रोध न करें।
दिनभर अनावश्यक बोलना, मोबाइल या मनोरंजन से दूरी बनाएं।
नुकीली चीजों (कैंची, चाकू आदि) के उपयोग से परहेज करें।
व्रत को केवल परंपरा मानकर न करें, इसे श्रद्धा और उद्देश्य के साथ निभाएं।
क्यों है हरतालिका तीज कुंवारी कन्याओं के लिए विशेष?
पौराणिक मान्यता है कि माता पार्वती ने कई जन्मों तक कठोर तपस्या कर भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। हरतालिका तीज उसी तप और समर्पण का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन कुंवारी कन्याएं अगर सच्चे मन से शिव-पार्वती की पूजा करें और व्रत करें, तो उन्हें वैसा ही गुणी और समर्पित जीवनसाथी प्राप्त होता है।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। HariBhoomi.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।
अनिल कुमार
