Hariyali Teej: कब और क्यों मनाई जाती है हरियाली तीज ?, यहां जानें पूजा विधि से लेकर सभी जानकारी

Hariyali Teej
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हरियाली तीज 2025 पर जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, सोलह शृंगार का महत्व और व्रत की संपूर्ण प्रक्रिया। 27 जुलाई को सौभाग्य और सुख का पर्व।

Hariyali Teej: भारतीय संस्कृति में तीज-त्योहार केवल उत्सव नहीं, बल्कि जीवनशैली और अध्यात्म का हिस्सा हैं। हरियाली तीज, जो सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस दिन विशेष रूप से विवाहित महिलाएं देवी पार्वती के रूप में सोलह शृंगार कर व्रत रखती हैं और अपने सौभाग्य, वैवाहिक सुख और समृद्ध जीवन की कामना करती हैं। यहां जानें ज्योतिषाचार्य डॉक्टर मनीष गौतम महाराज से तीज का महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त से लेकर सभी जानकारी।

सोलह शृंगार का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पक्ष

हरियाली तीज पर विवाहित महिलाएं जो सोलह शृंगार करती हैं, वह केवल सौंदर्य का प्रतीक नहीं बल्कि आत्मिक ऊर्जा और परंपरा का भी पोषक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सोलह शृंगार स्त्री के जीवन में सुख, शांति और आध्यात्मिक उत्थान लाते हैं। देवी लक्ष्मी को भी सौंदर्य और समृद्धि की अधिष्ठात्री मानी जाती हैं, और सोलह शृंगार करने वाली स्त्रियां उसी स्वरूप का प्रतिनिधित्व करती हैं।

सोलह शृंगार की परंपरा का पौराणिक मूल

पौराणिक मान्यता के अनुसार, रति ने जब सौंदर्य प्राप्त करने के लिए देवी लक्ष्मी की तपस्या की थी, तब उन्हें सोलह शृंगार का रहस्य मिला। तभी से यह परंपरा विवाह और तीज जैसे शुभ अवसरों पर स्त्रियों द्वारा निभाई जाती रही है। यह शृंगार स्त्री के आत्मविश्वास, सौंदर्य और गृहस्थ जीवन की ऊर्जा को दर्शाते हैं।

सिर से पांव तक, सोलह शृंगार के चरण

बिंदी – आज्ञा चक्र को सक्रिय करती है

सिंदूर – ब्रह्मरंध्र को जाग्रत करता है

काजल – नजर दोष से रक्षा

मेंहदी – प्रेम और ऊर्जा का प्रतीक

शादी का जोड़ा – वैवाहिक संस्कृति का प्रतीक

गजरा – ताजगी और देवीत्व का संकेत

मांगटीका – मस्तिष्क केंद्र को संतुलित करता है

नथ – एक्यूप्रेशर के ज़रिए स्वास्थ्य लाभ

कर्णफूल – ऊर्जा संतुलन में सहायक

हार / मंगलसूत्र – सुहाग की रक्षा

बाजूबंद – शक्ति और सज्जा का प्रतीक

कंगन / चूड़ियां – चंचलता और ऊर्जा संचार

अंगूठी – ग्रह दोषों से सुरक्षा

कमरबंद – रीढ़ की मजबूती और सज्जा

बिछुए – वैवाहिक स्थिति का प्रतीक

पायल – सकारात्मक ऊर्जा का संचार

विज्ञान भी देता है समर्थन

विज्ञान के अनुसार, इन आभूषणों का शरीर पर पड़ने वाला दबाव रक्तसंचार, एक्यूप्रेशर और मानसिक स्थिरता में मदद करता है। उदाहरणस्वरूप, मांग में सिंदूर लगाने से मस्तिष्क के मध्य भाग पर सीधा प्रभाव पड़ता है, जिससे एकाग्रता और मानसिक शक्ति बढ़ती है।

गृहलक्ष्मी और सौभाग्य का प्रतीक

जो स्त्रियां हरियाली तीज के दिन सोलह शृंगार के साथ व्रत रखकर मां पार्वती का पूजन करती हैं, उन्हें न केवल पुण्य की प्राप्ति होती है, बल्कि पति की आयु, गृहस्थ सुख और धन-धान्य की वृद्धि का वरदान भी मिलता है। वे स्वयं को गृहलक्ष्मी के रूप में स्थापित करती हैं।

पर्व की तिथि

तिथि: 27 जुलाई 2025, रविवार

शुभ मुहूर्त

पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय: सुबह 06:30 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक

अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:00 बजे से 12:55 बजे तक

विजय मुहूर्त: दोपहर 02:43 बजे से 03:38 बजे तक

अमृत काल: दोपहर 01:56 बजे से 03:34 बजे तक

रवि योग: 27 जुलाई को सुबह 04:23 बजे से 28 जुलाई की सुबह 05:40 बजे तक

राहुकाल (पूजा से बचें): शाम 05:34 से 07:16 बजे तक (दिल्ली अनुसार)

हरियाली तीज की पूजा विधि

पूजा से पहले की तैयारी

प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें

सोलह शृंगार करें और हरे रंग के वस्त्र पहनें

देवी पार्वती और भगवान शिव की प्रतिमा/चित्र को चौकी पर स्थापित करें

पूजन स्थल को फूलों, आम के पत्तों और तोरण से सजाएं

विधिपूर्वक पूजा का क्रम

घट स्थापना करें – कलश में जल भरकर आम के पत्ते रखें और नारियल स्थापित करें

गणेश पूजन – सर्वप्रथम भगवान गणेश का ध्यान करें

शिव-पार्वती पूजन – अक्षत, पुष्प, दूर्वा, जल, रोली, चंदन, हल्दी, मेहंदी आदि अर्पित करें

मेंहदी और झूले का प्रतीक – देवी को हरी मेंहदी अर्पित करें और झूले का प्रतीक बनाएं

हरियाली गीत और कथा – हरियाली तीज व्रत कथा पढ़ें या श्रवण करें

आरती और परिक्रमा – तीज माता की आरती करें, मंत्रोच्चार करें

व्रत का संकल्प और पारण – व्रत रखती महिलाएं निर्जला उपवास करती हैं और रात को चंद्र दर्शन या अगले दिन पारण करती हैं

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। HariBhoomi.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।

अनिल कुमार

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