Happy Dussehra 2025: भारत की 10 अनोखी जगहें जहां रावण की होती है पूजा, जानें परंपरा

Happy Dussehra 2025
Dussehra 2025: दशहरा, यानी बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व, पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। जहां ज्यादातर जगहों पर रावण का पुतला जलाकर विजयोत्सव मनाया जाता है, वहीं कुछ जगह ऐसी भी हैं जहां रावण को खलनायक नहीं, बल्कि एक विद्वान, शिवभक्त और सम्मानित व्यक्तित्व के रूप में पूजा जाता है। आइए जानते हैं भारत के उन 10 खास स्थानों के बारे में जहां दशहरे पर रावण का दहन नहीं, बल्कि पूजन होता है।
1. विदिशा का रावणग्राम: जहां बाबा कहकर पुकारा जाता है रावण को
मध्य प्रदेश के विदिशा में मौजूद रावणग्राम गांव, रावण के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। मान्यता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी का संबंध विदिशा से था। यहां के लोग रावण को सम्मान से 'रावण बाबा' कहकर बुलाते हैं। दशहरे के दिन यहां एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है। रावण की 10 फीट लंबी प्रतिमा की नाभि में रुई में तेल लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे उनकी नाभि में लगे तीर का दर्द कम होगा और वे गांव पर कृपा बनाए रखेंगे।
2. मंदसौर का खानपुर मंदिर: रावण हैं यहां के 'दामाद'
मंदसौर के खानपुर क्षेत्र में 35 फीट ऊंची, दस सिर वाली रावण की प्रतिमा स्थापित है। स्थानीय नामदेव वैष्णव समाज के लोग रावण को अपना दामाद मानते हैं, क्योंकि उनकी मान्यता है कि मंदोदरी इसी शहर की थीं और रावण का विवाह यहीं हुआ था। इसीलिए यहां दशहरे पर रावण दहन नहीं होता, बल्कि उनकी पूजा की जाती है।
3. उज्जैन का काचिखली गांव
उज्जैन जिले का काचिखली गांव एक और जगह है जहां रावण का दहन नहीं होता है। यहां एक अनोखी मान्यता है कि अगर रावण की पूजा न की गई तो पूरा गांव जलकर राख हो जाएगा। इस डर के चलते ग्रामीण दशहरे पर रावण की मूर्ति की पूजा करते हैं।
4. इंदौर का परदेशीपुरा मंदिर: जहां रावण को माना जाता है सर्वश्रेष्ठ बुद्धिजीवी
इंदौर के परदेशीपुरा इलाके में मौजूद इस मंदिर में रावण के अनुयायी उन्हें समाज का सबसे बड़ा बुद्धिजीवी मानते हैं। इस मंदिर का निर्माण एक दलित नेता महेश गौहर ने अपने घर में करवाया है, जो रोजाना रावण की पूजा करते हैं। दशहरे के दिन यहां यज्ञ का आयोजन भी किया जाता है।
5. बिसरख, ग्रेटर नोएडा: रावण की जन्मस्थली
उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर में स्थित बिसरख गांव को रावण का जन्मस्थान माना जाता है। यहां स्थित मंदिर लंकापति को समर्पित है और स्वाभाविक रूप से, यहां दशहरे पर रावण का पुतला नहीं जलाया जाता।
6. काकीनाडा, आंध्र प्रदेश: शिवभक्त रावण की तपोस्थली
आंध्र प्रदेश के काकीनाडा स्थित यह मंदिर रावण के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में गिना जाता है। मान्यता है कि रावण ने भगवान शिव का मंदिर बनाने के लिए इस स्थान को चुना था। यह इलाका रावण की पूजा के लिए ही जाना जाता है।
7. बैजनाथ, हिमाचल प्रदेश: तपस्या का साक्षी मंदिर
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के बैजनाथ में स्थित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां रावण ने एक पैर पर खड़े होकर तपस्या की थी। बैजनाथ में बिनवा पुल के पास मौजूद मंदिर परिसर में एक शिवलिंग और एक बड़े पैर के निशान के साथ-साथ एक हवन कुंड भी है, जहां रावण ने अपने नौ सिरों की आहुति दी थी। स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां रावण का पुतला जलाया गया तो उसकी मौत होनी तय है।
8. कानपुर का दशानन मंदिर: 125 साल पुरानी आराधना
कानपुर के शिवाला इलाके में स्थित दशानन मंदिर करीब 125 साल पुराना है। कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण 1890 में राजा गुरु प्रसाद शुक्ल ने करवाया था। इस मंदिर के दरवाजे साल में केवल दशहरे के दिन ही भक्तों के लिए खोले जाते हैं। इस दिन भक्त रावण की मूर्ति को सजाते हैं और आरती उतारते हैं।
9. जोधपुर, राजस्थान: जहां रावण के वंशज बसे हैं
जोधपुर में श्रीमाली समाज के गोधा गोत्र के लोग स्वयं को रावण का वंशज मानते हैं। कहा जाता है कि ये लोग रावण की बारात में यहां आए और बस गए। मेहरानगढ़ किला रोड पर इन्होंने रावण का एक मंदिर भी बनवाया हुआ है।
10. कोलार, कर्नाटक और गढ़चिरौली, महाराष्ट्र: आदिवासी समुदाय की आराधना
कर्नाटक के कोलार और महाराष्ट्र के अमरावती जिले की गढ़चिरौली तहसील में भी रावण की पूजा की जाती है। गढ़चिरौली में तो आदिवासी समुदाय रावण को भगवान के रूप में पूजता है।
क्या खास है इन जगहों में?
ये स्थान भारत की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाते हैं। रावण को केवल खलनायक नहीं, बल्कि एक विद्वान, शिवभक्त और शक्तिशाली राजा के रूप में देखा जाता है। ये परंपराएं हमें सिखाती हैं कि पौराणिक चरित्रों को एकतरफा नजरिए से नहीं, बल्कि उनके बहुआयामी व्यक्तित्व के साथ समझना चाहिए।
