Govardhan Puja 2025: आज है गोवर्धन पूजा, जानिए का शुभ मुहूर्त; पौराणिक कथा और अन्नकूट का महत्व

Govardhan Puja: दीपावली का पर्व भारत में पांच दिनों तक मनाया जाता है, जिनमें से प्रत्येक दिन का अपना विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व होता है। दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा का विधान है, जिसे अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है। इस बार गोवर्धन पूजा दीवाली के तीसरे दिन मनाई जा रही है।
बता दें कि यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति और उनकी करुणा का प्रतीक है, जिसमें प्रकृति, अन्न और गौ-सेवा की महत्ता को सम्मान दिया जाता है। आइए जानते हैं दीवाली के बाद गोवर्धन पूजा क्यों मनाई जाती है, इसके पीछे क्या कहानी है?
गोवर्धन पूजा 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
- पूजा की तिथि: 22 अक्टूबर 2025, बुधवार
- प्रात:काल मुहूर्त: सुबह 06:26 बजे से 08:42 बजे तक
- सायाह्नकाल मुहूर्त: दोपहर 03:29 बजे से शाम 05:44 बजे तक
- पूजन अवधि: प्रातःकाल-1 घंटे 16 मिनट, शाम-2 घंटे 16 मिनट
क्यों मनाई जाती है गोवर्धन पूजा?
पौराणिक कथा के अनुसार, द्वापर युग में जब इंद्रदेव के अहंकार को बढ़ावा मिला और वे ब्रजवासियों को वर्षा से भयभीत करने लगे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर गांववासियों और उनके पशुओं को मूसलधार बारिश से बचाया। इसके बाद से गोवर्धन पर्वत को देव स्वरूप मानकर उसकी पूजा की जाने लगी। इस दिन श्रद्धालु गोवर्धन महाराज और भगवान श्रीकृष्ण को अन्नकूट का भोग अर्पित करते हैं।
दिवाली यानी लक्ष्मी पूजन के अगले दिन, गोवर्धन पूजा की जाती है क्योंकि यह तिथि कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा होती है, जो गोवर्धन लीला के स्मरण की तिथि मानी जाती है। श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा इसी दिन से जुड़ी हुई है। यह पूजा प्रकृति, अन्न और पर्यावरण के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है।
गोवर्धन पूजा में क्या होता है विशेष?
- घरों और मंदिरों में गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाई जाती है।
- अन्नकूट के रूप में अनेक प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं और उसे भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित किया जाता है।
- गौमाता की पूजा विशेष रूप से की जाती है, क्योंकि श्रीकृष्ण को गायों से अत्यंत स्नेह था।
- किसान वर्ग इस दिन पशुधन और कृषि उपकरणों की पूजा करता है।
दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा मनाने की परंपरा न केवल भगवान श्रीकृष्ण के परोपकार को याद करती है, बल्कि यह दिन कृतज्ञता, प्रकृति प्रेम और अन्न का सम्मान करने का सशक्त माध्यम भी है। 22 अक्टूबर 2025 को जब घर-घर अन्नकूट का भोग लगेगा और गोवर्धन लीला का स्मरण होगा, तब यह पर्व हमें धर्म, प्रकृति और समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारियों का बोध भी कराएगा।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। HariBhoomi.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।
