71 साल बाद दीपावली पर पांच महायोग: हंस राजयोग, बुधादित्य योग, कलानिधि योग सहित विशेष संयोग में मनाई जाएगी दिवाली

Diwali 2025: Five Mahayogas Forming After 71 Years, Signs of Goddess Lakshmis Special Grace
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दीपावली 2025: 71 साल बाद बन रहे पांच महायोग, मां लक्ष्मी की विशेष कृपा के संकेत

इस बार दीपावली पर 71 साल बाद पांच महायोगों- हंस योग, बुधादित्य योग, कलानिधि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और आदित्य मंगल योग में मनाई जाएगी। जानें पूजन का शुभ मुहूर्त, तिथि, योग और पूजा विधि।

इस साल की दीपावली बेहद खास रहने वाली है, क्योंकि 71 साल बाद एक साथ पांच शुभ महायोग बन रहे हैं। 20 अक्टूबर 2025, सोमवार को अमावस्या तिथि पर मां लक्ष्मी, गणेश और कुबेर की पूजा इन दिव्य योगों में की जाएगी।

हंस राजयोग, बुधादित्य योग, कलानिधि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और आदित्य मंगल योग के संगम से इस बार की दीपावली को ज्योतिष शास्त्र में अत्यंत शुभ और दुर्लभ माना गया है।

इन ग्रह संयोगों के प्रभाव से देशभर में सुख-समृद्धि, वैभव और सौभाग्य का विस्तार होगा। पंडितों के अनुसार, जो भक्त इस शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से लक्ष्मी पूजन करेंगे, उनके घर में पूरे वर्ष धन-वृद्धि और सौभाग्य का वास रहेगा।

हंस योग, बुधादित्य योग, कलानिधि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और आदित्य मंगल योग में मनाई जाएगी इस बार की दिवाली

  • दीपावली 2025 की तिथि: सोमवार, 20 अक्टूबर 2025
  • अमावस्या तिथि प्रारंभ: दोपहर 3:45 बजे से
  • अमावस्या तिथि समाप्त: 21 अक्टूबर शाम 5:55 बजे तक

इस बार दिवाली क्यों है खास?

71 साल बाद इस दीपावली पर एक साथ पांच शुभ महायोग बन रहे हैं-

  • हंस राजयोग
  • बुधादित्य योग
  • कलानिधि योग
  • सर्वार्थ सिद्धि योग
  • आदित्य मंगल योग

वाराणसी के चामुंडा दरबार के पुजारी गुरु पं. रामजीवन दुबे के अनुसार, ये योग मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति, सुख-समृद्धि, धन और वैभव में वृद्धि के प्रतीक हैं।

दीपावली कब मनाई जाएगी?

इस वर्ष अमावस्या तिथि दो दिनों तक रहेगी, लेकिन 20 अक्टूबर (सोमवार) को प्रदोष और निशीथ काल दोनों ही अनुकूल होने के कारण दीपावली इसी दिन मनाई जाएगी।

वाराणसी समेत अधिकांश पंचांगों में 20 अक्टूबर को ही लक्ष्मी पूजन का दिन घोषित किया गया है।

लक्ष्मी पूजन के शुभ मुहूर्त (20 अक्टूबर 2025)

कार्य

शुभ समय

विवरण

व्यावसायिक
पूजन

दोपहर 1:30 बजे से
शाम 6:00 बजे तक

चर लाभ और अमृत चौघड़िया
में उत्तम योग

घरेलू पूजन
(प्रदोष काल)

शाम 6:00 बजे से
8:30 बजे तक

स्थिर लग्न में लक्ष्मी
पूजन सर्वश्रेष्ठ

निशीथ
काल पूजन

रात 8:20 बजे से
10:55 बजे तक

साधना और विशेष उपासना
के लिए श्रेष्ठ समय

महानिशा
काल पूजन

रात 10:50 बजे से
1:30 बजे तक

गुप्त साधना, तंत्र-मंत्र
साधना हेतु उपयुक्त समय

लक्ष्मी पूजन की विधि व मंत्र

पं. रामजीवन दुबे के अनुसार, दीपावली की रात माता लक्ष्मी के साथ कुबेर, वरुण, यम और इन्द्र की भी पूजा करनी चाहिए।

पूजन विधि:

  • घर या कार्यालय में उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजन करें।
  • दीपक में घी का उपयोग करें, तिल का तेल भी शुभ माना गया है।
  • माता लक्ष्मी को श्रीफूल, कमल, चावल, और श्रृंगार सामग्री अर्पित करें।

इसके बाद निम्न पाठ करें:

  • लक्ष्मी सूक्त
  • श्री सूक्त
  • कनकधारा स्तोत्र
  • पुरुष सूक्त
  • अंत में “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का 108 बार जप करें।

इससे घर में स्थायी सुख, शांति और धन की वृद्धि होती है।

इस दिवाली पांच योगों का शुभ संकेत

  • योग: हंस योग ज्ञान | फल: बुद्धि और नेतृत्व क्षमता में वृद्धि
  • योग: बुधादित्य योग | फल: धन और सफलता में वृद्धि
  • योग: कलानिधि योग | फल: यश, सम्मान और पद में वृद्धि
  • योग: सर्वार्थ सिद्धि योग | फल: हर कार्य में सफलता
  • योग: आदित्य मंगल योग | फल: स्वास्थ्य और आत्मबल की वृद्धि

खरीदारी और नए कार्यों का शुभ समय

20 अक्टूबर को दोपहर 1:30 बजे से शाम 6:00 बजे तक का समय खरीदारी और नए व्यापार की शुरुआत के लिए बहुत शुभ रहेगा। इस दौरान ग्रहों की स्थिति चर लाभ और अमृत चौघड़िया में रहेगी, जिससे हर कार्य सिद्ध होगा।

दीवाली पर 676 साल बना गुरु-शनि का शुभ योग

इस बार दीपावली पर कई खास योग बन रहे हैं। इसमें शिव वास योग का संयोग बन रहा है। मां चामुण्डा दरबार के पुजारी रामजीवन दुबे ने बताया कि यह संयोग 84 साल बाद बन रहा है। इसके पहले साल 1941 में दिवाली के दिन शिव वास योग का संयोग बना था। गुरु ग्रह अपनी उच्च राशि कर्क में है। इसके साथ ही गुरु की दृष्टि शनि पर रहेगी।

शनि गुरु की राशि मीन में है। गुरु का उच्च राशि में और उसकी शनि पर दृष्टि, शनि का मीन राशि में होना एक शुभ योग है। पुजारी रामजीवन दुबे ने बताया कि ऐसा योग 2025 से 676 साल पहले 20 अक्टूबर 1349 को बना था। उस दिन भी सोमवार ही था। यानि तारीख, वार एक ही था।

साथ ही उच्च के गुरु की दृष्टि, गुरु की राशि में शनि है। उच्च के गुरु के साथ, 18 अक्टूबर 2085 को दीपावली मनेगी और गुरु की दृष्टि मीन राशि में स्थित शनि पर रहेगी।

कर्क, वृश्चिक, मकर और मीन के लिए शुभ रहेगा समय

गुरु पुनर्वसु नक्षत्र में रहेगा, इसका स्वामी गुरु ही है और शनि पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में रहेगा, इसका स्वामी भी गुरु ही है। गुरु उच्च राशि कर्क में है, शनि भी गुरु की राशि में है, गुरु की दृष्टि भी शनि पर है। इन शुभ योगों की वजह से देश में व्यापार की स्थिति बहुत मजबूत होगी। शत्रु देशों को बड़ी हानि हो सकती है। सोना और चांदी के दाम बढ़ते रहेंगे। कर्क, वृश्चिक, मकर और मीन राशि वालों को लाभ मिलने की संभावना है।

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