अनंत चतुर्दशी 2025: गणपति बप्पा विसर्जन से पहले की पूजा विधि, जानें शुभ मुहूर्त और मंत्र

गणेश विसर्जन
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Anant Chaturdashi 2025: जानिए अनंत चतुर्दशी 2025 की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और भगवान विष्णु की अनंत स्वरूप पूजा के मंत्र। इस दिन गणपति विसर्जन और विशेष पूजा का महत्व भी समझें।

Anant Chaturdashi 2025: अनंत चतुर्दशी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार 6 सितंबर को पड़ रहा है। भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा का विशेष महत्व होता है। साथ ही यह दिन गणपति उत्सव का समापन और गणपति विसर्जन का भी अवसर होता है। यहां जानें गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र के बारे में।

अनंत चतुर्दशी पूजा का शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:51 बजे से 05:38 बजे तक

प्रातःकालीन संध्या पूजा: सुबह 05:14 बजे से 06:24 बजे तक

अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:12 बजे से 01:01 बजे तक

सायंकालीन संध्या पूजा: शाम 06:49 बजे से 07:57 बजे तक

पूजा विधि

अनंत चतुर्दशी के दिन सबसे पहले पूजा की शुरुआत स्वच्छता से की जाती है। सुबह स्नान के बाद पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध कर लें। फिर भगवान विष्णु की पूजा करें, जिसमें अक्षत (अक्षर चावल), दुर्वा, पंचामृत, और हल्दी रंगे हुए रेशमी सूत का उपयोग किया जाता है। पूजा के दौरान विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

पूजा का विशेष अंग चौदह गांठों वाला अनंत सूत्र है, जिसे ध्यान करते हुए पूजा के अंत में अपनी कलाई (पुरुष दाहिनी कलाई, स्त्री बायीं कलाई) पर बांधें। यह अनंत सूत्र भगवान विष्णु की असीम कृपा का प्रतीक है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

अनंत चतुर्दशी पर जपें ये मंत्र

श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं, विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सिद्ध लक्ष्मी नारायण नमः॥

अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव। अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।

कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः।।

महत्व और फल

अनंत चतुर्दशी की पूजा से व्यक्ति पर भगवान विष्णु की अनंत कृपा बनी रहती है। इससे जीवन में आर्थिक समृद्धि, स्वास्थ्य लाभ, तथा मानसिक शांति प्राप्त होती है। साथ ही गणपति विसर्जन के साथ यह दिन नए आरंभ का प्रतीक भी माना जाता है।

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