राष्ट्रपति ने दिया अनेकता में एकता का संदेश

राष्ट्रपति ने दिया अनेकता में एकता का संदेश
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राष्ट्रपति ने कहा कि सभी तीन बड़े जातीय समूह द्रविड़, कॉकेशियन, मंगोल एक भूमि पर रहते हैं।
वृंदावन. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को कहा कि विविधता के साथ रहना और अनेकता में एकता को ढूंढ़ने की परंपरा सदियों से रही है और यह हमारी सभ्यतागत मूल्यों का हिस्सा है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश में असहिष्णुता पर बहस के परिप्रेक्ष्य में यह बात कही। उन्होंने कहा कि विविधता के साथ रहना, भारत में अनेकता में एकता को ढूंढ़ने पर सदियों से अमल होता रहा है। इसलिए अनेक लोग आश्चर्य व्यक्त करते हैं कि कैसे यह भारत में, प्रशासन की एक व्यवस्था में, एक संविधान में, विधिक न्यायशास्त्र और उसके कामकाज के एक तरीके में संभव है।
उन्होंने कहा कि क्या इतनी विविधता को समाहित करना संभव है। कई बार हमें इन सवालों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने खुद ही इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि इसका उत्तर हमारे सभ्यातगत मूल्यों में है। राष्ट्रपति वृंदावन में चैतन्य महाप्रभु के ब्रज-वृंदावन आगमन पंचशती महोत्सव पर एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुखर्जी ने कहा कि सभ्यतागत मूल्य ही वह कारण हैं जिसकी वजह से हम 128 करोड़ लोगों के साथ रहते हैं जिसमें सभी बड़े धर्मों के लोग शामिल हैं।
भारत दुनिया का दूसरा सर्वाधिक आबादी वाला देश है। राष्ट्रपति ने कहा कि सभी तीन बड़े जातीय समूह द्रविड़, कॉकेशियन, मंगोल एक भूमि पर रहते हैं। समूचे उत्तर पूर्वी भारत में आप मंगोल लोगों को पाएंगे। समूचे दक्षिण भारत में आप द्रविड़ लोगों को पाएंगे और उत्तर और उत्तर पश्चिम भारत में कॉकेशियन समूह के लोग पाए जाते हैं। ये सभी बड़े जातीय समूह एक देश में रहते हैं।
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