अब कभी नहीं सड़ेगा आलू, केंद्रीय आलू शोध स्टेशन ने विकसित की तकनीक

अब कभी नहीं सड़ेगा आलू, केंद्रीय आलू शोध स्टेशन ने विकसित की तकनीक
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केंद्रीय आलू शोध स्टेशन की तकनीक के तहत आलू को बिना खराब हुए आठ महीने तक भंडारण करके रखा जा सकता है।

जालंधर. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अधीन केंद्रीय आलू शोध स्टेशन की तकनीक के तहत आलू को बिना खराब हुए आठ महीने तक भंडारण करके रखा जा सकता है। इस तकनीक को विकसित करने वाले सीपीआरएस की प्रधान वैज्ञानिक डॉ. आशिव मेहता ने इस बारे में बताया, आलू में लगभग 80 फीसदी पानी की मात्रा होती है। यही कारण है कि मिट्टी से निकालने के कुछ ही हफ्ते बाद यह खराब होना शुरू हो जाता है।

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अगर हम इस पानी को आलू से निकाल दें तो इसका जीवनकाल कुछ हफ्तों से बढ़कर आठ महीने तक हो सकता है और इतने समय तक इसे भंडारण करके भी रखा जा सकता है। सीपीआरएस के दो अन्य सहयोगियों के साथ इस तकनीक को विकसित करने वाली डॉ. मेहता ने कहा, हमने इस तकनीक का नाम ‘डिहाइड्रेशन आॅफ पोटैटो’ रखा है और यह पर्यावरण अनुकूल भी है।
पंजाब के दोआबा इलाके में किसानों के लिए आलू की बंपर फसल अक्सर उनके लिए नुकसान दायक रही है। किसानों को नुकसान से बचाने की दिशा में जालंधर स्थित केंद्रीय आलू शोध स्टेशन ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे आलू को न केवल सड़ने से बचाया जा सकेगा बल्कि इसे लंबे समय तक भंडारण करके भी रखा जा सकेगा।
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