मन की बात का संदेश

मन की बात का संदेश
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प्रधानमंत्री नें मन की बात में की कई मुद्दों पर बात।
दसवीं-बारहवीं परीक्षा में उतीर्ण हुए विद्यार्थियों को उन्होंने बधाई दी। लेकिन जो उतीर्ण नहीं हो सके उन्हें भी आश्वासन देते हुए कहा कि वे फिर से अपनी पढ़ाई में लग जाएं। क्योंकि किसी असफलता में सफलता का बीज छिपा रहता है। असफलता आपको, आपकी शक्तियों को जानने का अवसर प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्पति एजीपे अब्दुल कलाम ने माई जर्नी टंसफार्मिंग ड्रीम इनटू एक्सन में अपने जीवन का एक प्रसंग लिखा है। उसमें उन्होंने कहा है कि मेरी पायलट बनने की प्रबल इच्छा थी। लेकिन जब मैं पायलट बनने के लिए गया तो फेल हो गया। उनका फेल होना भी कितना बड़ा अवसर बन गया। प्रधानमंत्री ने बच्चों से कहा है कि गर्मी बहुत बढ़ गई है। गर्मी से बचना चाहिए और जहां तक संभव हो घर के आगे किसी बर्तन में पानी रख देना चाहिये जिससे पशु-पक्षी अपनी प्यास बुझा सकें। गुजरात, महाराष्ट् और दिल्ली में अक्सर देखा गया है कि गर्मी के दिनों में लोग घर के आगे बड़े बड़े घड़े रख देते हैं जिससे कि कोई प्यासा आदमी घर के आगे से गजुरे तो पानी से अपनी प्यास बुझा सके।
दिल्ली में अक्सर किसी सार्वजनिक जगह पर सुबह के वक्त जब लोग सैर करने निकलते हैं तो एक कोने में कुछ अनाज का दाना डाल देते हैं जिसे पशु-पक्षी खा सकें। इस संदर्भ में यह बताना आवश्यक है कि हमारे देश में गर्मी के दिनों में प्यासे लोगों को पानी पिलाने की परम्परा सदियों पुरानी है और वह अभी भी जीवित है। एक बात सर्वविदित है कि जहां पेड़ों के घने जंगल होते हैं वहां बादल निश्चित रूप से बरसता है। वहां गर्मी कम पड़ती है। उत्तर भारत के अधिकतर राज्यों में जब किसी लड़की का विवाह होता है तो उसके पहले किसी पेड़ के साथ उसके विवाह की रश्म अदायगी होती है। उसके पीछे भावना यही रहती है कि बेटी तुम जहां भी जाओ पेड़ों की रक्षा अवश्य करना। इसलिए प्राय: हर गांव में अभी भी 70-80 साल पुराने पेड़ पाए जाते हैं। इस सिलसिले में मुझे आचार्य विनोबा भावे की दत्तक पुत्री निर्मला देशपांडे की बात याद आती हैं जिन्होंने "एक पेड़ एक कुएं" की मुहिम चलाई थी।
उससे मैं भी जुड़ा हुआ था। उनका कहना था कि लड़की या लड़के के परिवार वाले शादी विवाह में एक मिठाई बारातियों या मेहमानों को कम खिलावें और उसकी जगह एक कुआं खुदवा दें या चापाकल लगवा दें और उसके बगल में एक फलदायी पेड़ लगवा दें। एक तख्ती भी लगवा दें कि किस दंपत्ति के विवाह के अवसर पर यह कुआं खोदा गया था और पेड़ लगाया गया था। पेड़ जहां तक संभव हो फलदायी हों जैसे आम, अमरूद, जामुन, कटहल, बेल आदि। स्वर्गीय निर्मला देशपांडे जो राज्यसभा की सदस्या थीं, उनके पास कुछ स्वयंसेवकों का जत्था भी था। ये स्वयंसेवक बड़े समाचारपत्रों में छपने वाले मैटरीमोनियल विज्ञापन में पत्र भेजते थे जिसमें लिखा रहता था कि जब आपके बेटे या बेटी की शादी हो तो एक कुआं और एक वृक्ष अवश्य लगाइये। यदि संभव हो तो इसकी सूचना हमें भी दीजिये। यह अभियान बहुत ही सफल हुआ था। दुर्भाग्यवश उनके स्वर्गवास के बाद यह अभियान ठप पड़ गया।
विदेशों में अपने स्वर्गीय सगे-संबंधियों की याद में लोग एक निश्चित पार्क में पेड़ लगा देते हैं और हर साल उस व्यक्ति के जन्मदिन भी उस पेड़ की देखभाल के लिए उस पार्क में जाते हैं तथा जो रखवाला उस पार्क की रक्षा करता है उसे एक उचित राशि देते हैं। यह सिलसिला भारत में भी अब शुरू हो गया है। कहने का अर्थ है कि जिस तरह अपने देश में मौसम जिस प्रकार कठोर और अनिश्चित है उसमें भरपूर पेड़ लगाया जाना हर व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
प्रधानमंत्री ने पद संभालते ही यह प्रयास किया कि देश में और विदेशों में जहां-जहां बौद्ध धम्म के अवशेष हैं उनकी रक्षा की जाए। इस वर्ष बुद्ध पूर्णिमा पर संसार के विभिन्न देशों से आए हुए बौद्ध भिक्षुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि एशिया में शांति तभी होगी जब सही अर्थ में बुद्ध के उपदेशों का पालन होगा। इस सिलसिले में प्रसिद्ध बौद्ध विश्वविद्यालय, ‘नालंदा’ का जीर्णोद्धार हुआ और एक बार फिर उसे गौरव प्रदान करने के लिए उसे अंतर्राष्ट्रीय ख्याति मिली। प्रसिद्ध विद्धान नोबेल पुरस्कार विजेता डा. अर्मत्य सेन वर्षों तक इस विश्वविद्यालय के प्रधान रहे। उनके त्यागपत्र देने के बाद अब सिंगापुर के पूर्व विदेशमंत्री इस विश्वविद्यालय के कुलपति नामांकित हुए हैं। बिहार में नालंदा की तरह एक और विश्वविद्यालय है जिसका नाम विक्रमशिला विवि है। उसके बारे में चीनी यात्री हुएनसांग और फाह्यान ने विस्तार से लिखा है और नालंदा की तरह इस विश्वविद्यालय में भी सारे संसार के छात्र शिक्षा लेने आते थे। भागलपुर जिले में विक्रमशिला विश्वविद्यालय के अवशेष हैं। पूर्ववर्ती सरकारों ने थोड़ी बहुत खुदाई करके जैसे का तैसा छोड़ दिया। समय आ गया है जब इस प्रसिद्ध बौद्ध विश्वविद्यालय का भी जीर्णोद्धार हो और उसे वैसा ही गौरव प्राप्त हो जैसा नालंदा विश्व विद्यालय को प्राप्त हुआ है।
नरेन्द्र मोदी की सरकार का एक वर्ष पूरा हो गया है। अधिकतर समाचारपत्रों और टीवी चैनलों ने नरेन्द्र सरकार मोदी की सफलता के लिये उसे 70 प्रतिशत से अघिक अंक दिये हैं। यह कोई मामूली बात नहीं है। यह सच है कि चुनाव के दौरान नरेन्द्र मोदी ले जनता से अनेक वायदे किये थे जो वे पूरे नहीं हुए हैं। परन्तु प्रधानमंत्री का यह कहना सही है कि थोड़ा धीरज रखिये। समय आते ही सभी वायदे पूरे हो जाएंगे। एक बात तो निश्चित है कि जिस तरह ‘यूपीए’ की सरकार ने भयानक घोटाले किए वैसा कोई घोटाला इस सरकार में नहीं हुआ। हम सबों को चाहिए कि इस सरकार की सफलता के लिऐ उसकी वर्षगांठ पर हम शुभकामनाएं दें।
प्रधानमंत्री का यह कहना सही है कि थोड़ा धीरज रखिये। एक बात तो निश्चित है कि जिस तरह ‘यूपीए’ की सरकार ने कई घोटाले किए वैसा कोई घोटाला इस सरकार में नहीं हुआ। हम सबों को भी चाहिए कि इस सरकार की सफलता के लिए उसकी वर्षगांठ पर हम शुभकामनाएं दें।
पिछले कुछ महीनों से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देशवासियों से आकाशवाणी पर ‘मन की बात’ करते रहे हैं। गत रविवार को भी इस क्रम में उन्होंने ‘मन की बात’ कही। इसमें उन्होंने लोगों से कहा कि वे थोड़ा धैर्य रखें। सभी समस्याओं का हल मिल बैठकर निकाल लिया जाएगा। ‘वन रैंक वन पेंशन’ के मुद्दे पर उन्होंने सैन्यकर्मियों को आश्वासन दिया कि उनकी सरकार इस जटिल मुद्दे का शीघ्र ही हल निकालेगी। उन्होंने कहा कि सेवानिवृत सैन्यकर्मियों का हित उनके लिए विश्वास और देशभक्ति का मसला है। इस मामले में कांग्रेस जिस तरह रिटायर सैन्यकर्मियों को भड़का रही है उसकी उन्होंने निंदा की। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह मामला गत 40 सालों से लंबित है। सरकार के अधिकारी इसका हल निकालने में जुटे हुए हैं। हर बात की जानकारी मीडिया को देने की जरूरत नहीं होती है। उन्होंने पूर्व सैनिकों से थौड़ा धैर्य रखने के लिए कहा जो उचित भी है।
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