OROP: पूर्व सैनिकों का आमरण अनशन खत्म हुआ, लेकिन धरना अभी खत्म नहीं

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By - Kavita Joshi |6 Sept 2015 12:00 AM IST
वीआरएस लेने वाले सैनिकों को इसमें शामिल न करना अन्याय है, सरकार को इसे ठीक करना चाहिए।
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नई दिल्ली. वन रैंक वन पेंशन को लेकर पूर्व सैनिकों का आमरण अनशन खत्म हो गया है लेकिन पूर्व सैनिकों ने कहा है कि जब तक सरकार हमारी सारी मांगों को नहीं मान लेती और लिखित में जानकारी नहीं मिलेगी तब तक ये धरना जारी रहेगा। तो वही वन रैंक वन पेंशन को लागू करने को लेकर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की शनिवार को की गई घोषणा के बाद के बाद पूर्व सैनिकों की ओर से मिलीजुली प्रतिक्रिया सामने आई है। कुछ का कहना है कि सरकार ने इसे लागू करने के ऐलान के साथ ही बीते करीब 43 सालों से लंबित पड़ी पूर्व सैनिकों की मांग को पूरा कर दिया है। इससे पूर्व सैनिकों का 90 फीसदी काम तो पूरा हो गया है, बाकी बचे 10 फीसदी काम को बातचीत के जरिए पूरा करवाया जा सकता है। कुछ का कहना है कि सरकार ने ओआरओपी की घोषणा अपनी शर्तों पर की है, पूर्व सैनिकों की मांगों के आधार पर नहीं।
ओआरओपी को लागू करने के सरकार के एलान के तुरंत बाद हरिभूमि से टेलीफोन पर हुई खास बातचीत में सेना के पूर्व अधिकारी मेजर जनरल जीडी. बख्शी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पिछली कांग्रेस की सरकार ने ओआरओपी को लेकर चुनाव से ऐन पहले 500 करोड़ रुपये की अंतरिम राशि की घोषणा की थी। उसके मुकाबले में तो मोदी सरकार ने पूर्व सैनिकों की 43 साल पुरानी इस मांग को स्वीकार कर पूरा कर दिया है। ऐसे में पूर्व सैनिकों का 90 फीसदी काम तो पूरा हो ही गया है। बाकी बची 10 फीसदी मांग के लिए उन्हें धरना-प्रदर्शन बंद कर देना चाहिए और सरकार से बातचीत करने के रास्ते पर आगे बढ़ना चाहिए। धरने से फौज की छवि खराब होती है।
वीआरएस लेने वाले सैनिकों को इसमें शामिल न करना अन्याय है, सरकार को इसे ठीक करना चाहिए। साथ ही पेंशन की हर साल समीक्षा होनी चाहिए। जैसे सरकार आईएएस, आईपीएस और अब पेरामिलिट्री बलों की पेंशन की सालाना समीक्षा कर रही है तो फौज की भी की जानी चाहिए। बातचीत के वक्त जहां सरकार ने 12 हजार करोड़ रुपए की राशि दी है तो बाकी 10 फीसदी को भी पूर्व सैनिकों को स-सम्मान दे देना चाहिए।
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