PM Modi Interview Analysis : पीएम मोदी के इंटरव्यू का विश्लेषण, जानें क्या है इसके मायने

नव वर्ष के पहले दिन प्रधानमंत्री ने देश के कई अहम मुद्दों पर सरकार के दृष्टिकोण को जनता के सामने रखकर स्वागतयोग्य काम किया है। कई ऐसे ज्वलंत मुद्दे हैं, जिनको लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर रहा है। राम मंदिर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विहिप, संत समाज और भाजपा के कुछ नेता हाल के महीनों में मुखर रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने लगभग सभी मुद्दों पर बेबाकी से तथ्य रखा है और अपने आलोचकों को जवाब दिया है।
नोटबंदी, सर्जिकल स्ट्राइक, पाकिस्तान, ऊर्जित पटेल का इस्तीफा आदि मुद्दों पर विपक्ष ने सबसे अधिक सरकार को घेरा है। कांग्रेस ने प्रचारित किया कि नोटबंदी अचानक की गई, जिसने देश को झटका दिया। पूर्व पीएम डा. मनमोहन सिंह, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने नोटबंदी को देश को गर्त में धकेलने वाला कदम बताया था और इसे हड़बड़ी में किया गया फैसला बताया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने साफ किया कि विमुद्रीकरण कोई झटका नहीं था, बल्कि सरकार ने सालभर पहले चेतावनी दी थी कि अगर किसी के पास काला धन है तो आप उसे जमा कर दें। आप जुर्माना भरें और आपकी मदद की जाएगी। लेकिन लोगों को लगा कि यह सरकार भी पूर्व की सरकारों की भांति व्यवहार करेगा, इसलिए बहुत कम लोग स्वत: सामने आए।
नोटबंदी काला धन के खिलाफ की गई थी। सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर भी कांग्रेस ने सरकार पर हमला किया था। पीएम ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक में बड़ा जोखिम था, लेकिन यह करना जरूरी था। पठानकोट में आतंकी हमले व उरी हमले में जवानों को जिंदा जलाए जाने के बाद सैनिकों में गुस्सा था। सोच समझ कर सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाई गई थी।
सरकार की पहली चिंता सैनिकों की सुरक्षा थी, इसलिए पहले दो बार तारीख बदली गई थी। सर्जिकल स्ट्राइक पर गए जवानों से सुबह तक वापस आ जाने के लिए कहा गया था। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भी पाक नहीं सुधरा और वह सीमा पार से हमले करता रहा है। मोदी ने कहा कि पाकिस्तान को सुधरने में समय लगेगा। एक-दो लड़ाई से वह सुधर जाएगा, ऐसा हमें नहीं सोचना चाहिए।
पीएम ने यह भी स्पष्ट किया कि ऊर्जित पटेल पर आरबीआई का गवर्नर पद छोड़ने के लिए कोई भी राजनीतिक दबाव नहीं था। पटेल ने इस्तीफे से छह-सात महीने पहले ही सरकार को अपने फैसले के बारे में बताया था। वे निजी कारणों के चलते खुद पद छोड़ना चाहते थे। उन्होंने लिखित में भी अपनी इच्छा जताई थी।
विपक्ष ने आलोचना की थी कि सरकार के दबाव में ऊर्जित को मजबूर होकर इस्तीफा देना पड़ा था। विभिन्न संगठनों की ओर से राम मंदिर पर अध्यादेश लाने का बन रहे दबाव को साफगोई से पीएम ने खारिज कर दिया। मोदी ने उन संगठनों को दो टूक संदेश दिया कि एक तो भाजपा सरकार मंदिर मसले को भूली नहीं है,
दूसरी वह देश की अदालती प्रक्रिया का सम्मान करती है और किसी के दबाव में नहीं है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाने पर फैसला न्यायिक प्रक्रिया के पूरा होने के बाद ही लिया जाएगा। उन्होंने तीन तलाक का उदाहरण दिया। राम मंदिर में रोड़ा अटकाने वाली कांग्रेस को भी उन्होंने बेनकाब किया। अब दबाव की राजनीति पर विराम लग जाना चाहिए।
इस साल लोकसभा चुनाव को लेकर भी पीएम आत्मविश्वास से भरे दिखे। उन्होंने कहा कि 2019 का चुनाव जनता बनाम विपक्षी गठबंधन होगा। हमें जनता का आशीर्वाद प्राप्त है। हाल ही में मोदी पर मीडिया से संवाद नहीं करने को लेकर तंज कसा गया था। प्रधानमंत्री का समय-समय पर मीडिया से संवाद करते रहने से देश के मुद्दों पर सरकार के दृष्टिकोण का पता चल जाता है। इस तरह का प्रयास होते रहना चाहिए।
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