अगर अपनाए जायें ये उपाय तो 20 रुपए कि‍लो बि‍केगी प्‍याज़

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उन्होंने ये विचार नई दिल्ली में नीति आयोग की वेबसाइट पर प्रकाशित एक ब्लॉग पोस्ट में साझा किया है।

नई दिल्ली. नीति आयोग का मानना है कि प्याज की कीमतों में उतार-चढ़ाव को बेहतर तंत्र और योजनाओं को लागू करके काबू में रखा जा सकता है। इन उपायों में भंडारण के बुनियादी ढ़ांचे को बढ़ाने, नेफेड जैसी केंद्रीय एजेंसियों, राज्य स्तरीय एजेंसियों तथा सार्वजनिक संस्थानों द्वारा प्याज का भंडारण शामिल है। इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश जैसे अन्य राज्यों में प्याज की खेती को बढ़ावा देने तथा खरीफ मौसम में प्याज के उत्पादन को लोकप्रिय बनाने जैसे विकल्प भी कामयाब साबित हो सकते हैं।

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नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चन्द ने कहा है कि प्याज की कीमतों के झटके भारत में लगातार लग रहे हैं और धीरे- धीरे ये गंभीर होते जा रहे हैं। यह एक विडंबना है कि देश में प्याज के उत्पादन में प्रभावशाली बढ़ोतरी होने के बावजूद प्याज की कीमतों में लगभग तीसरे वर्ष काफी तेजी देखी जाती है। उन्होंने ये विचार नई दिल्ली में नीति आयोग की वेबसाइट पर प्रकाशित एक ब्लॉग पोस्ट में साझा किया है।

देश में प्याज का उत्पादन 2002-03 तक 5.5 मिलियन टन से नीचे था जो अब बढ़कर हाल के वर्षों में 19 मिलियन टन से भी अधिक हो गया है। 2000-01 से पिछले 13 वर्षों के दौरान देश में प्याज उत्पादन की वार्षिक वृद्धि दर 13 प्रतिशत से अधिक रही है। हाल के वर्षों में किसी भी अन्य खाद्य फसल की वृद्धि इतनी शानदार नहीं रही है। बहरहाल, हाल के वर्षों में प्याज के लिए घरेलू एवं विदेशी मांग आपूर्ति में बढ़ोतरी की तुलना में आगे निकलती प्रतीत हो रही है। प्याज की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 2002-03 में 4 किलोग्राम से बढ़कर हाल के वर्षों में 13 किलोग्राम पहुंच गई है जो प्रति वर्ष 12 प्रतिशत की वृद्धि दशार्ती है।
प्याज के लिए प्रति व्यक्ति मांग में यह बढ़ोतरी प्याज के लिए भारतीय उपभोक्ताओं की पसंद में आश्चर्यजनक बदलाव को प्रदर्शित करती है। इसका अर्थ यह भी है कि घर के बजट पर प्याज की कीमतों में तेजी का असर अधिक भारी होता जा रहा है। प्रो. चन्द का कहते हैं कि यह आश्चर्यजनक लगता है कि बढ़ी हुई उपलब्धता का संबंध कीमतों के उतार-चढ़ाव से जुड़ा हुआ है जबकि इसे आपूर्ति में छोटे झटकों को अवशोषित करने का लचीलापन प्रदान करना चाहिए था। प्रो. रमेश चन्द का कहना है कि मूल्य में स्थिरता लाने के लिए एक अन्य विकल्प सार्वजनिक संस्थानों द्वारा प्याज का भंडारण है।
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