रात-दिन नोट छापकर परेशान हुए कर्मचारी, किए हाथ खड़े

रात-दिन नोट छापकर परेशान हुए कर्मचारी, किए हाथ खड़े
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परेशान कर्मचारियों ने ओवरटाइम करने से इनकार कर दिया है
कोलकाता. देश में जब से नोटबंदी हुई है तब से ज्यादातर लोग पैसे के लिए बैंक और एटीएम की लाइन पर ही नजर आते हैं। नोटबंदी से न केवल आम लोग ही परेशान हुए हैं बल्कि अब इन नोटों को छापने वाले कर्मचारियों की हिम्मत जवाब देने लगी है। वित्त मंत्रालय ने दावा किया है कि देश के विभिन्न जगहों पर नोट छापने का काम तेजी से किया जा रहा है और आमलोगों को कैश की किल्लत का सामना नहीं करना पड़ेगा।
वित्त मंत्रालय के इस दावा को पूरा करने के चक्कर में नोट छापने वाले कर्मचारियों को ओवरटाइम लगाकर काम करना पड़ रहा है। लेकिन अब उनकी हिम्मत अब जवाब दे चुकी है। पश्चिम बंगाल के सालबोनी की मुद्रा प्रिंटिंग प्रेस में नोटबंदी के बाद से लगातार नोटों की छपाई का काम हो रहा है। वहां लोग दिन-रात एक करके काम कर रहे हैं। ऐसे में कर्मचारी लगातार बीमार हो रहे हैं।
परेशान कर्मचारियों ने ओवरटाइम करने से इनकार कर दिया है। इसके लिए कर्मचारियों के एक वर्ग ने वहां के अधिकारियों को सूचित किया है कि वे नौ घंटे से अधिक समय तक काम नहीं करेंगे।
भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड (बीआरबीएनएमपीएल) के कर्मचारी संघ ने एक नोटिस जारी करते हुए अधिकारियों से कहा है कि 14 दिसंबर से लगातार ओवरटाइम शिफ्ट में काम करने की वजह से उनके कई सदस्य बीमार पड़ गए हैं।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद और संघ के अध्यक्ष सिसिर अधिकारी ने कहा कि मैसूर और सालबोनी में नोटों की छपाई से कई कर्मचारी बीमार पड़ गए हैं। 14 दिसंबर से सभी कर्मचारियों को अधिकारियों द्वारा 12 घंटे की शिफ्ट में काम करने के लिए मजबूर किया गया ताकि नकदी की कमी पूरी की जा सके। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के लगातार काम करते रहने से उनके परिवार पर भी इसका उल्टा असर पड़ रहा है।
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