शिवसेना और भाजपा को आना ही पड़ेगा एक साथ, सोची समझी थी ये रणनीति!

शिवसेना और भाजपा को आना ही पड़ेगा एक साथ, सोची समझी थी ये रणनीति!
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इस गठबंधन के बाद कांग्रेस की बची-खुची उम्मीदों पर भी फिर जायेगा पानी।
नई दिल्ली. महाराष्ट्र निकाय चुनाव में पूर्ण बहुमत ना मिलने के बाद भी भजपा में खुशी की लहार साफ तौर पर दिखाई दे रही है। भाजपा को बीएमसी की 227 सीटों में से 82 सीटें मिली हैं, जबकि शिवसेना ने 'नंबर वन' का टैग अपने नाम करते हुए भाजपा से दो सीटें ज्यादा 84 हासिल की। इसके बावजूद दोनों पार्टियां बहुमत 114 सीट के आंकड़े से काफी दूर है।
अब सवाल ये उठता है कि इन चुनावी नतीजों ने दोनों पार्टियों को फिर से एक करने का काम किया है या फिर ये कोई सोची समझी रणनीति थी। क्योंकि चुनावी नतीजे आने के तुरंत बाद दोनों दलों के कई वरिष्ठ नेताओं ने शिवसेना और भाजपा को एक होने का सुझाव दिया है। दरअसल पीएम मोदी के नोटबंदी एक फैसले से त्रस्त जनता को शिवसेना के वोट मिले, जबकि मोदी के इस कदम से खुश लोगों ने उड़ीसा के बाद महाराष्ट्र में भी भाजपा को भारी बहुमत दिलाया है।
इस गठजोड़ का अंदाज इस बात से भी लगाया जा रहा कि चुनावी नतीजे सामने आने के बाद भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि शिवसेना और भाजपा को एक जो जाना चाहिए। देवेंद्र फडणवीस मंत्रिमंडल में मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि बहुत हुई कड़वाहट, अब दोनों को फिर से साथ आ जाना चाहिए क्योंकि ये साथ आने का समय है, अलग होने का नहीं। दोनों पार्टियों के पास साथ आने के अलावा कोई विकल्प बचा ही नहीं है? दोनों दलों को मुंबई को चलाने के लिए एक साथ आना भी चाहिए। देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे को सत्ता की साझेदारी के बारे में फैसला करना चाहिए। दोनों अच्छे दोस्त हैं।
वहीं भाजपा के वरिष्ट नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी भाजपा और शिवसेना को एक होने की सलाह दी है, स्वामी ने ट्वीट कर कहा कि दोनों में हिंदूत्व के खुन का रिश्ता है। दोनों दलों को मुंबई जैसे शहरों में 90 प्रतिशत मतदान हिंदूत्व के लिए ही मिले हैं। अब दोनों पार्टियों को फिर से गठबंधन कर लेना चाहिए ताकि मुम्बई का विकास हो सके।
गठबंधन होना अनिवार्य
शिवसेना और भाजपा के फिर से एक होने के कयास इस बात से भी लगाए जा रहे हैं कि शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि बीएमसी का मेयर शिवसेना का ही बनेगा, चाहे गठबंधन या ना हो। वैसे बहुमत ना मिलने के कारण दोनों दलों के पास गठबंधन के अलावा कोई और ऑप्शन बचता ही नहीं है ऐसे में भाजपा और शिवसेना का गठबंधन होना अनिवार्य हो जाता है। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि महाराष्ट्र और केंद्र दोनों जगह सत्तारूढ़ दोनों भगवा दल फिर से एक होंगे या फिर नए समीकरण बनेंगे।
गठबंधन की पहल
चुनावी नतीजों से साफ जाहिर होता है कि सीएम देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र में भाजपा के ऐसे कद्दावर नेता के तौर पर उभरे हैं, जिनमें वोट इकट्ठा करने की क्षमता और ताकत है। बीजेपी के शानदार प्रदर्शन पर सीएम देवेंद्र फड़णवीस ने कहा कि जनता ने भाजपा को पारदर्शिता और नोटबंदी के लिए वोट दिए हैं। गठबंधन पर उन्होंने कहा कि बृहन्मुम्बई महानगरपालिका (बीएमसी) में आगे का निर्णय पार्टी की कोर समिति करेगी। जबकि दूसरी तरफ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष राव साहेब दनवे ने साफ कर दिया है कि दोनों पार्टियों के पुनर्मिलन की पहल शिवसेना को करनी चाहिए। उन्होंने खुद से जल्दबाजी में हमसे नाता तोड़ा था। अब यह उन पर निर्भर करता है कि वे दोबारा से विचार करें और हमारे पास आएं। अब देखना ये दिलचस्प होगा कि दोनों दाल में से कौन पहले गठबंधन की पहल करता है।
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