दावोस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण पर सुषमा स्वारज ने दिया ये बड़ा बयान

विश्व आर्थिक मंच के सम्मेलन में पीएम मोदी के संबोधन की पुरजोर प्रशंसा करते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार को कहा कि दावोस में भारतीय संस्कृति और मूल्यों की प्रासंगिकता समझाकर प्रधानमंत्री ने भारत का मस्तक ऊंचा किया है।
प्रधानमंत्री ने भारत का मस्तक ऊंचा किया
सुषमा स्वराज ने अपने ट्वीट में कहा कि दावोस में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी का भाषण अनूठा और अद्वितीय रहा। उन्होंने कहा कि वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए भारतीय दर्शन, भारतीय चिंतन तथा भारत के सांस्कृतिक मूल्यों की प्रासंगिकता समझा कर प्रधानमंत्री ने भारत का मस्तक ऊंचा किया है।
यह भी पढ़ें- वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम: 'दावोस' में पीएम मोदी ने कहीं ये 10 बड़ी बातें
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दावोस में विश्व आर्थिक मंच के सम्मेलन में क्रिएटिंग ए शेयर्ड फ्यूचर इन ए फ्रैक्चर्ड वर्ल्ड विषय पर अपने संबोधन में कहा कि भारतीय परम्परा में प्रकृति के साथ गहरे तालमेल के बारे में हजारो साल पहले हमारे शास्त्रों में मनुष्य मात्र को बताया गया- भूमि माता, पुत्रो अहम् पृथ्व्याः।
मानव और प्रकृति के बीच जंग-सी क्यों छिड़ी
उन्होंने सवाल किया कि यदि हम पृथ्वी की संतान हैं तो आज मानव और प्रकृति के बीच जंग-सी क्यों छिड़ी है? मोदी ने कहा कि यहां पर मैं सिर्फ तीन प्रमुख चुनौतियों का जिक्र करुंगा जो मानव सभ्यता के लिए सबसे बड़े ख़तरे पैदा कर रही हैं। पहला खतरा है जलवायु परिवर्तन का। हिमनद पीछे हटते जा रहे हैं।
यह भी पढ़ें- यूपी के नए DGP ओपी सिंह ने चार्ज संभालते ही कहा- कोर्ट के फैसले का होगा सम्मान, नहीं रूकेगी 'पद्मावत'
आर्कटिक की बर्फ पिघलती जा रही है। यह चुनौती की स्थिति है। प्रधानमंत्री ने कहा कि दूसरी बड़ी चुनौती है आतंकवाद। इस संबंध में भारत की चिंताओं और विश्वभर में पूरी मानवता के लिए इस गम्भीर खतरे के बढ़ते और बदलते हुए स्वरूप से आप भली-भांति परिचित हैं।
चुनौतियों और समाधान के विषय पर चर्चा होगी
उन्होंने कहा कि मुझे आशा है कि इस मंच पर आतंकवाद और हिंसा की दरारों से इनके द्वारा उत्पन्न विभाजन से हमारे सामने मौज़ूद गंभीर चुनौतियों पर और उनके समाधान के विषय पर चर्चा होगी। मोदी ने कहा कि तीसरी चुनौती मैं यह देखता हूं कि बहुत से समाज और देश ज्यादा से ज्यादा आत्मकेंद्रित होते जा रहे हैं।
वैश्विकरण अपने नाम के विपरीत सिकुड़ रहा है
ऐसा लगता है कि वैश्विकरण अपने नाम के विपरीत सिकुड़ रहा है। इस प्रकार की मनोवृत्तियों और गलत प्राथमिकताओं के दुष्परिणाम को जलवायु परिवर्तन या आतंकवाद के खतरे से कम नहीं आंका जा सकता।
उन्होंने कहा कि भारत का लोकतंत्र देश की स्थिरता, निश्चितता और सतत विकास का मूल आधार है। लोकतांत्रिक मूल्य और समावेशी आर्थिक विकास और प्रगति में तमाम दरारों को पाटने की संजीवनी शक्ति है।
और पढ़े: Haryana News | Chhattisgarh News | MP News | Aaj Ka Rashifal | Jokes | Haryana Video News | Haryana News App
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS