RSS के कार्यक्रम में शामिल होंगे प्रणब मुखर्जी, कांग्रेस ने जताई आपत्ति, भाजपा ने दिया करारा जवाब

पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस के बड़े नेता प्रणब मुखर्जी 7 जून को आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होंगे। इसको लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। एक तरफ कांग्रेस के कई नेता इस पर हैरान है तो वहीं आरएसएस ने इस मुद्दे पर बयानबाजी को गलत बताया है।
इस मामले ने तूल पकड़ लिया है। कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित के इस पर सवाल खड़ा करने के बाद भाजपा ने इस पर करारा जवाब दिया है। संघ से लंबे समय से जुड़े रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि क्या आरएसएस कोई पाकिस्तानी संगठन है, जो इस तरह मामले को उठाया जा रहा है।
गडकरी ने कहा,लोग तो दारू की दुकान पर जाते हैं, लेडीज बार में जाते हैं। ऐसे में अगर पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में जा रहे हैं तो इसे कोई मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजनीतिक अस्पृश्यता अच्छी बात नहीं है और आरएसएस के कार्यक्रम में जाने को लेकर टिप्पणी नहीं की जानी चाहिए।
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संघ ने कहा- इसमें कोई चौंकाने वाली बात नहीं
लगातार हो रही बयानबाजी पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भी बयान आया है। आरएसएस के पदाधिकारी के मुताबिक हमारे यहां परंपरा है कि हम देश के ऐसे प्रमुख लोगों को कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बुलाते हैं,जिन्होंने अपना जीवन लोगों की सेवा में बिताया हो। इसको ध्यान में रखते हुए पूर्व राष्ट्रपति को न्योता भेजा गया था जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है।
कांग्रेस नेता संदीप ने कहा, देखना होगा कि क्या बोलते हैं प्रणब
कांग्रेस के नेता संदीप दीक्षित ने कहा था कि जो आरएसएस के खिलाफ विचार रखते थे अब वह उनके ही कार्यक्रम में जाने को तैयार हो गए हैं, ऐसे में वह क्या कहते हैं, देखना दिलचस्प होगा।
दीक्षित ने आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा, प्रणव मुखर्जी सांप्रदायिकता और हिंसा को लेकर आरएसएस की भूमिका पर पहले सवाल उठा चुके हैं। आरएसएस को ये बातें पता होंगी। अगर उन्हें संघ अपने कार्यक्रम में बुला रहा है तो क्या प्रणव मुखर्जी ने अपनी विचारधारा बदली है या आरएसएस में कोई स्वाभिमान नहीं बचा है।
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स्वामी बोले-इंदिरा गांधी भी कर चुकी हैं प्रशंसा
भाजपा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने कहा, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी आरएसएस के कार्यों की प्रशंसा कर चुकी हैं। पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी संघ को पर्याप्त सम्मान देते थे। आज दुनिया के कोने-कोने में आरएसएस को अलग पहचान मिली है।
प्रणव वहां जाकर क्या बोलते हैं यह देखना होगा। स्वामी ने कहा कि जब परिस्थितयां बदलती हैं तो लोगों का नजरिया भी बदलता है। लाल बहादुर शास्त्री ने भी आरएसएस को महत्व दिया था। आज कांग्रेस का पतन हो रहा है तो मुझे लगता है कि प्रणव मुखर्जी को देश की चिंता है।
कांग्रेस ने बनाई दूरी
इस बीच, आधिकारिक रूप से कांग्रेस पार्टी ने मामले से दूरी बनाते हुए कहा है कि यह सवाल पार्टी से नहीं बल्कि प्रणव मुखर्जी से पूछा जाना चाहिए कि वह संघ के कार्यक्रम में क्यों शामिल हो रहे हैं। कहा गया है कि यह फैसला प्रणव मुखर्जी का है, कांग्रेस पार्टी का नहीं।
प्रणब ने स्वीकार किया न्योता
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने 7 जून को नागपुर में संघ के तृतीय वर्ष शिक्षा वर्ग में राष्ट्रवाद पर व्याख्यान देने का न्योता स्वीकार कर लिया है। वे नागपुर स्थिति आरएसएस कार्यालय जाएंगे।
वह नागपुर में आरएसएस के उन कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे, जिन्होंने संघ के शैक्षिक पाठ्यक्रम का तृतीय शिक्षा वर्ग पास किया है। यह ट्रेनिंग पास करने वाले ही आगे चलकर पूर्णकालिक प्रचारक बन सकते हैं।
सूत्रों के मुताबिक वह नागपुर में दो दिन रहेंगे और 8 जून को वापस लौटेंगे। संघ शिक्षा वर्ग के शिविर समापन समारोह में मुखर्जी शामिल होंगे। वह इस समारोह के मुख्य अतिथि होंगे। इस शिविर में करीब 700 स्वयंसेवक शामिल हो रहे हैं।
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