नोटबंदी के एक साल: इस तरह बदली है देश की तस्वीर, कितना आया बदलाव, जानें

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By - टीम डिजिटल/हरिभूमि, दिल्ली |7 Nov 2017 5:51 AM
8 नवंबर 2016 को देशभर में नोटबंदी का ऐलान हुआ था।
8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था। नोटबंदी की घोषणा करते समय पीएम मोदी ने कहा था कि ये ऐलान इसलिए किया जा रहा है ताकि देश में भ्राष्टाचार और कालेधन पर लगाम लगाई जा सके। पीएम मोदी की घोषणा के बाद बड़े-बड़े मंत्रियों से लेकर आम जनता तक हैरान हो गई थी।
भले ही लोग परेशान थे और इसमें कोई दोराहे नहीं की नोटबंदी के फैसले के बाद लोगों को परेशानियां उठानी पड़ीं लेकिन लोगों के दिल में एक उम्मीद भी थी की शायद इस फैसले के बाद देश की तस्वीर बदलेगी। आज हम आपको बताने जा रहे हैं की पीएम मोदी नोटबंदी पर किए अपने फैसले पर कितने खरे उतरे हैं।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि नोटबंदी के बाद 1.48 लाख बैंकों में 1.48 लाख करोड़ रुपए जमा किए गए है। उन्होंने बताया की तकरीबन हर खाते में 80 लाख रुपए जमा किए गए हैं। 1.48 बैंक खातों में औसत डिपो़जिट 3.3 करोड़ रुपए है।
1.09 करोड़ बैंक खातों में छोटी डिपोजिट्स की गईं जैसे 2 लाख रुपए से लेकर 80 लाख रुपए तक। इन खातों में औसत डिपोजिट 5 लाख रुपए रखी गई थी। नोटबंदी के बाद दो तिहाई बंद नोट बैंक को वापस मिल गईं। भारतीय रिजर्व बैंक ने बताया कि 15.3 लाख करोड़ रुपए की वैल्यू वाले बंद नोट वापस बैंकिंग सिस्टम में लौटे।
फर्जी कंपनियों पर ताला
मोदी सरकार के मुताबिक नोटबंदी के बाद 3 लाख कंपनियों में से 5 हजार कंपनियों के बैंक खातों से 4000 करोड़ रुपए का लेन-देन होने का पता चला है। इसके साथ ही 56 बेंकों से मिली जानकारी के अनुसार 35000 कंपनियों के 58000 बैंक खातों में नोटबंदी के बाद 17 हजार करोड़ डिपोजिट हुए हैं और पैसे निकाले गए हैं।
नकली नोटों पर लगाम
नकली नोटों को पकड़ने की बात की जाए तो अभी भी सरकार बहुत सफल नहीं नजर आ रही है एक रिपोर्ट के मुताबिक 1000 रुपए के जितने बंद नोट वापस बैंकों में लौटे हैं उसमें से सिर्फ 0.0007 फीसदी ही नकली नोट थे। 500 रुपए के नोटों को देखें तो 0.002 फीसदी नकली नोट रहे। बता दें की राष्ट्रीय जांच एजेंसी के अनुसार 2015 तक 400 करोड़ रुपए के नकली नोट सर्कुलेशन में थे।
डिजिटल पेमेंट में बढ़ोत्तरी
नोटबंदी के बाद डिजिटल पेमेंट बढ़ा है। पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया के अनुसार नोटबंदी के बाद से डिजिटल पेमेंट 40 से 70 फीसदी तक बढ़ी है। पहले ये 20 से 50 फीसदी थी।
कैसा रहा जीडीपी का हाल
नोटबंदी के बाद जीडीपी वृद्धि दर घट गया और घटकर 6.1 फीसदी पर आ गया। पहले ये 7.9 फीसदी था। इसके बाद अप्रैल-जून तिमाही में वृद्धि दर और भी कम हुआ और ये 5.7 फीसदी पर पहुंच गया। पिछले साल इस दौरान जीडीपी 7.1 फीसदी थी।
आतंकवाद और नक्सलवाद पर लगाम
गौरतलब है कि आतंकवाद और नक्सलवाद की बात की जाए तो इस बात की कोई पुख्ता जानकारी नहीं है की आखिर नोटबंदी की वजह से इनपर कितनी लगाम लगी है। हालांकि अगर देखा जाए तो आतंकी गतिविधियां कश्मीर में बढ़ी हैं। नक्सली गतिविधियों में कमी देखने को मिली है।
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