ई-कॉमर्स में एफडीआई का नियम लागू, ऑनलाइन सामान न मिलेगा सस्ता, न होगी जल्द होम डिलिवरी

ई-कॉमर्स में एफडीआई का नियम लागू, ऑनलाइन सामान न मिलेगा सस्ता, न होगी जल्द होम डिलिवरी
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ई-कॉमर्स में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का नया नियम शुक्रवार से लागू हो गया, जिसके साथ ही ग्राहकों को मिलने वाली कई सुविधाओं पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।

ई-कॉमर्स में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का नया नियम शुक्रवार से लागू हो गया, जिसके साथ ही ग्राहकों को मिलने वाली कई सुविधाओं पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। नई व्यवस्था में ग्राहकों को सामान न सिर्फ पहले के 1-2 दिन की तुलना में कम से कम 4-7 दिनों में मिलेगा, बल्कि इसके लिए उन्हें कीमत भी तुलनात्मक रूप से अधिक चुकानी पड़ेगी।

नए नियमों का सर्वाधिक असर अमेजॉन पर पड़ा है, जिसने अपने प्लेटफॉर्म से मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, ग्रॉसरी और फैशन सहित कई श्रेणियों में भारी मात्रा में उत्पादों को हटाना पड़ा है। क्लाउडटेल और ऐपेरियो जैसे सेलर्स ने काम करना बिल्कुल बंद कर दिया है। इन दोनों कंपनियों में अमेजॉन की हिस्सेदारी है।

कंपनियां वे ही प्रोडक्ट बेच सकेंगी जिनमें उनकी भूमिका न हो

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश वाली ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए संशोधित दिशा-निर्देश 1 फरवरी से लागू हो गया है। इस नए नियम के आने के बाद से अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी ऑनलाइन रिटेल कंपनियां उन फर्म के प्रोडक्ट्स को अपने प्लेटफॉर्म पर नहीं बेच सकेंगी, जिसमें उनकी किसी भी तरह से हिस्सेदारी होगी। यानी कंपनियां वो ही प्रोडक्ट्स बेच सकेंगी जिनमें उनकी कोई भूमिका न हो।

एक्सक्लूसिव सेल का फायदा भी नहीं

साथ ही ऑनलाइन कंपनियों के किसी भी प्रोडक्ट को एक्सक्लूसिव तरीके से बेचने पर भी पाबंदी लगाई गई है। यानी अब आपको एक्सक्लूसिव सेल का फायदा भी नहीं मिल सकेगा।

नए नियमों के पीछे 4 करोड़ खुदरा विक्रेता

नए नियमों को लाने की वजह ऑफलाइन खुदरा विक्रेताओं द्वारा की गई शिकायतें हैं। खुदरा विक्रेताओं ने शिकायत कर आरोप लगाया है कि ऑनलाइन रिटेलर्स भारी छूट दे रहे हैं, जिससे उनके व्यापार को नुकसान पहुंच रहा है। देश में खुदरा बाजार बहुत बड़ा है। एक अनुमान के मुताबिक देश में लगभग चार करोड़ खुदरा की दुकानें हैं। इनके माध्यम से लगभग 14 करोड़ लोगों का रोजी-रोटी जुड़ी हुई है। जीएसटी के कारण पहले ही सरकार से नाराज चल रहे व्यापारी ऑनलाइन कंपनियों पर कोई लगाम न लगाए जाने से भी नाराज चल रहे थे। सरकार ने जीएसटी की दर घटाकर व्यापारियों को मनाने का काम किया था।

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