लोकसभा सांसदों को सुमित्रा महाजन ने दिया तोहफा, 22 भाषाओं में सांसद रख सकेंगे अपनी बात

लोकसभा में अब सांसद संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध सभी 22 भाषाओं में अपनी बात रख सकेंगे और सरकार से प्रश्न भी पूछे सकेंगे। इसकी व्यवस्था लोकसभा सचिवालय ने राज्यसभा के सहयोग से की है। पहले संविधान के तहत जनप्रतिनिधियों को केवल 17 भाषाओं में ही अपनी बात रखने का अधिकार था। लेकिन अब इसमें पांच और भाषाओं को भी शामिल कर लिया गया है।
सदन में गुरुवार को प्रश्नकाल के बाद इसकी जानकारी देते हुए लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि सदन की कार्रवाई का हिस्सा बनायी जाने वाली पांच भाषाओं में डोगरी, कश्मीरी, कोकणी, सिंधी और संथाली शामिल है। इसके लिए पहले तत्काल अनुवाद की सुविधा उपलब्ध नहीं थी। लेकिन अब होगी।
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केवल इन भाषाओं से जुड़े हुए जनप्रतिनिधियों को अपनी बात सदन में रखने से 24 घंटे पहले सचिवालय को सूचित करना आवश्यक होगा। जिसके बाद राज्यसभा के सहयोग से यहां अनुवाद की व्यवस्था करायी जाएगी। अध्यक्ष ने सदन को यह जानकारी संविधान के अनुच्छेद 120 (1) के तहत प्रदत शक्तियों का उपयोग करते हुए दी।
भोजपुरी को लेकर उठी मांग
अध्यक्ष की बात खत्म होने के तुरंत बाद भाजपा के सारण से सांसद राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा कि दुनिया में 10 करोड़ लोग भोजपुरी भाषा बोलते हैं। लेकिन अब तक भोजपुरी के लिए कोई सहमति नहीं बनी है। यह बात भी वर्षों से चली आ रही है। इस पर लोस अध्यक्ष के आसन की ओर से कोई टिप्पणी नहीं की गई।
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